संयुक्त अरब अमीरात वापस आने की इच्छा रखने वाले बहुसंख्यक लोग कोई बिजनेसमैन नहीं, बल्कि एक आम जिंदगी जीने के लिए संघर्ष करने वाला कामगार वर्ग है. संयुक्त अरब अमीरात ने भारत और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए भी अपने दरवाजे दोबारा से खोले हैं ताकि प्रवासी और संयुक्त अरब अमीरात का वीजा रखने वाले लोग वापस लौट कर अपने काम पर बैठ सकें.
वही बात करें भारत और पाकिस्तान की तो यहां के लोगों को कम से कम 2 गुने दाम पर अब टिकट दिए जा रहे हैं और मौके का फायदा एयरलाइन कंपनियां भरपूर उठा रहे हैं. कई ट्रैवल एजेंट ने बताया कि एकाएक बढ़े हुए किराए से कामगारों का वर्ग काफी परेशान है और वह जाने की इच्छा को पूरा करने के लिए कई प्रकार के लोन लेकर उनसे टिकट कराने के लिए संपर्क कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं फिर से यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया जाए.
भारत के शहर जैसे कोचिं, केरल इत्यादि से दुबई आने के लिए सामान्य तौर पर 700 दिरहम से लेकर 850 दिरहम तक हवाई किराया होता था जो कि इस वक्त कम से कम 1100 दिरहम में मिल रहा है.
इसी प्रकार अगर आप भारत के मुंबई से दुबई की यात्रा करना चाहते हैं तो इस वक्त कम से कम 1300 दिरहम का किराया आपको चुकाना होगा.
वही हमारी टीम में जब कुछ यात्रियों से बात किया जो कि 10 अगस्त से पहले यात्रा के लिए टिकट खरीद रखे हैं तो हमें पता लगा कि मुंबई से दुबई आने के लिए कई यात्रियों ने 6500 दिरहम तक चुकाए हैं.
इसी प्रकार से पाकिस्तान के भी विभिन्न शहरों जैसे इस्लामाबाद और कराची से दुबई की यात्रा करना लोगों को अच्छा खासा महंगा पड़ रहा है जिसमें अमूमन 600 दिरहम में उपलब्ध होने वाले टिकट अभी कम से कम 2300 दिरहम में बेचे जा रहे हैं.
भारत और पाकिस्तान के सरकार को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मौके का फायदा कंपनियां उठाते हुए मजदूर और अन्य वर्ग के लोगों के ऊपर बेवजह अत्यधिक बोझ ना डालें. अभी तक बेलगाम बढ़े हुए टिकट के किरायों के ऊपर किसी भी प्रकार का सरकारी एक्शन नहीं लिया गया है.
उम्मीद है कि सरकार इन वास्तविकता जानने के बाद लंबे अरसे से फंसे हुए प्रवासी कामगारों को कम टिकट किराए का तोहफा दें, ताकि कामगार वर्ग का जीवन फिर से शुरू हो पाए, ना की एक टिकट खरीदने के लिए उनका जीवन फिर से लोन के साथ आगे बढ़े.