परिवहन विभाग ने टैक्सी और अन्य व्यावसायिक वाहनों (कमर्शियल व्हीकल) के मालिकों के लिए एचएसआरपी (HSRP) नंबर प्लेट और कलर कोड स्टिकर अनिवार्य कर दिया है। यदि वाहन पर ये दोनों नहीं हैं, तो उस वाहन के फिटनेस, मालिकाना नाम परिवर्तन, पते में बदलाव, हाइपोटेक्शन हटाने, परमिट और फिटनेस जैसे ज़रूरी दस्तावेज़ी काम नहीं हो पाएँगे। विभाग ने सभी डीटीओ (DTO) और वीआरएसयू (Vehicle Registration & Scrutiny Unit) को आदेश जारी कर दिया है कि ऐसे वाहनों के कागजात रोक दिए जाएँ, जो नियमों का पालन नहीं करते।
क्या है आदेश?
- HSRP और कलर कोड स्टिकर नहीं होने पर वाहन मालिक के फिटनेस और अन्य जरूरी काम नहीं होंगे।
- नाम बदलवाना, पता बदलना, हाइपोटेक्शन (ऋण आदि) हटाना आदि सुविधाएँ भी बंद कर दी जाएँगी।
- विभाग ने इन प्रक्रियाओं को रोकने का निर्देश देकर सख़्ती शुरू कर दी है।
टैक्सी यूनियनों का विरोध
- ऑटो-टैक्सी यूनियन ने इस आदेश का विरोध किया है।
- यूनियन का कहना है कि पहले HSRP के लिए पैसा लिया गया, अब कलर कोड स्टिकर लगवाने के लिए 142 रुपये का अतिरिक्त खर्च वाहन मालिकों पर डाला जा रहा है।
- ऑनलाइन आवेदन करने पर भी 100 रुपये का शुल्क लग रहा है, यानी एक मालिक को 242 रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे।
- यूनियन इसे टैक्सी चालकों का उत्पीड़न बता रही है और इस आदेश को तत्काल रोकने की मांग कर रही है।
विभाग की दलील
- परिवहन विभाग के मुताबिक, कलर कोड स्टिकर एवं HSRP वाहनों की पहचान और सुरक्षा दोनों के लिए अनिवार्य हैं।
- इससे फिटनेस और परमिट प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी और फर्जीवाड़ा कम होगा।
- नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने व्यावसायिक वाहनों पर एचएसआरपी और कलर स्टिकर को अनिवार्य कर दिया है, जिसके बगैर कोई दस्तावेज़ संबंधी काम नहीं होगा। हालाँकि, टैक्सी यूनियनें इस आदेश पर अतिरिक्त आर्थिक भार का हवाला देकर विरोध जता रही हैं। अब देखने वाली बात होगी कि विभाग और यूनियनों के बीच कोई समझौता होता है या आदेश को ज्यों का त्यों लागू किया जाएगा।