भारतीय रेल ने यात्रियों की सुरक्षा और बेहतर सेवा सुनिश्चित करने के लिए एक नया कदम उठाया है। अब ट्रेन में वेंडरों की पहचान करना आसान होगा, क्योंकि भारतीय रेल ने क्यूआर कोड आधारित पहचान पत्र लागू करने की योजना बनाई है। इससे यात्रियों को अवैध वेंडरों से छुटकारा मिलेगा और यात्रा अनुभव और भी सुरक्षित हो सकेगा।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
अब हर कैटरिंग ठेकेदार और उसके वेंडरों के पास एक क्यूआर कोड आधारित पहचान पत्र होगा। यात्री अपने स्मार्टफोन से इस क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से उन्हें वेंडर का नाम, पता, आधार नंबर, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाएगी। यह सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक प्रभावी तरीका है।
पायलेट प्रोजेक्ट की शुरुआत
रेलवे बोर्ड ने इस वेंडर मैनेजमेंट सिस्टम (वीएमएस) को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर मध्य रेलवे के नागपुर मंडल में शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट के तहत 835 वेंडरों-सहायकों को क्यूआर कोड आधारित पहचान पत्र जारी किया गया है।
वेंडरों की विस्तृत जानकारी
इस क्यूआर कोड की मदद से रेलवे अधिकारी—जैसे आरपीएफ, जीआरपी, टीटीई और कॉमर्शियल विभाग—अवैध वेंडरों की धरपकड़ आसानी से कर सकेंगे। इसमें वेंडर की फोटो, पुलिस सत्यापन की तारीख, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, ठेके की अवधि इत्यादि सूचना शामिल हैं।
इस नई प्रणाली के जरिये न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि वे आसानी से असली-नकली वेंडरों में अंतर कर सकेंगे। यह भारतीय रेल द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।