केंद्र सरकार ने हाल ही में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा की, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को न्यूनतम गारंटीड पेंशन 10,000 रुपये प्रति माह मिलेगी। इसके बाद से निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने भी अपनी पेंशन बढ़ाने की मांग तेज कर दी है।
EPS के तहत न्यूनतम पेंशन में वृद्धि की मांग
वर्तमान में, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लाभार्थियों को 1,000 रुपये प्रति माह न्यूनतम पेंशन मिलती है। यह राशि वर्ष 2014 में तय की गई थी। निजी कर्मचारियों की तरफ से अब इसे बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति माह करने की मांग हो रही है।
पेंशन सुधार को लेकर चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन का कदम
चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री को पत्र लिखते हुए EPS के तहत पेंशन में वृद्धि की अपील की है। उनकी मांगों के मुख्य कारण हैं:
- महंगाई में वृद्धि: 1,000 रुपये की राशि बढ़ती महंगाई के कारण अपर्याप्त है।
- UPS का प्रभाव: सरकारी कर्मचारियों के लिए UPS लागू होने के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी समान आर्थिक सुरक्षा की आवश्यकता है।
- जीवन यापन की लागत: वृद्धावस्था में स्वास्थ्य और अन्य खर्चों के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है।
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) का ओवरव्यू
विवरण | जानकारी |
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योजना का नाम | कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) |
लागू होने का वर्ष | 1995 |
वर्तमान न्यूनतम पेंशन | 1,000 रुपये प्रति माह |
प्रस्तावित न्यूनतम पेंशन | 9,000 रुपये प्रति माह |
लाभार्थियों की संख्या | लगभग 75 लाख |
योजना का प्रबंधन | कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) |
पात्रता | EPFO के सदस्य |
पेंशन का आधार | सेवा अवधि और जमा राशि |
EPS के तहत वर्तमान पेंशन व्यवस्था
- नियोक्ता के योगदान का 8.33% हिस्सा EPS में जाता है।
- पेंशन की गणना सेवा अवधि और योगदान के आधार पर होती है।
- अधिकतम योगदान 15,000 रुपये के वेतन पर ही लिया जाता है।
पेंशन बढ़ोतरी के संभावित लाभ
- आर्थिक सुरक्षा: वृद्धावस्था में वित्तीय स्थिरता मिलेगी।
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं: पेंशन वृद्धि से स्वास्थ्य खर्चों को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।
- जीवन स्तर में सुधार: पेंशनभोगी अपनी दैनिक जरूरतें बेहतर तरीके से पूरी कर पाएंगे।
- मांग में वृद्धि: अधिक पेंशन से बाजार में खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।
सरकार के सामने चुनौतियां
- वित्तीय बोझ: पेंशन में वृद्धि से सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ेगा।
- नियोक्ताओं पर असर: अगर योगदान बढ़ाया गया, तो नियोक्ताओं को अधिक बोझ उठाना पड़ सकता है।
- दीर्घकालिक स्थिरता: योजना को आर्थिक रूप से स्थिर बनाए रखना एक चुनौती होगी।
संभावित सुझाव
- चरणबद्ध पेंशन वृद्धि: एक ही बार में पूरी राशि बढ़ाने के बजाय, इसे धीरे-धीरे लागू किया जाए।
- योगदान सीमा में वृद्धि: उच्च आय वाले कर्मचारियों के लिए योगदान सीमा बढ़ाई जाए।
- निवेश में सुधार: EPS फंड का बेहतर प्रबंधन और लाभदायक निवेश किया जाए।
- स्वैच्छिक योगदान: कर्मचारियों को अतिरिक्त योगदान का विकल्प दिया जाए।