जब आप सैलरी पाते हैं और सोचते हैं कि ऊँची कमाई का मतलब ज़्यादा टैक्स है, तो जान लीजिए कि ऐसा जरूरी नहीं। भारत के इनकम टैक्स कानून में कई ऐसे प्रावधान (डिडक्शन्स और छूट) हैं जिनसे टैक्स को काफ़ी कम किया जा सकता है। आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि कैसे 12 लाख रुपये सालाना कमाने वाले राकेश ने पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) का उपयोग करके अपना टैक्स शून्य कर लिया।
राकेश का मामला: 12 लाख की कमाई पर भी टैक्स नहीं
- राकेश एक निजी कंपनी में काम करते हैं और उन्हें हर महीने 1 लाख रुपये सैलरी मिलती है।
- सालाना कमाई हुई 12 लाख रुपये, जिससे उन्हें लगा कि उन्हें बहुत टैक्स देना पड़ेगा।
- लेकिन सही टैक्स प्लानिंग के ज़रिए उन्होंने अपनी टैक्स योग्य आय (Taxable Income) को घटाते-घटाते 5 लाख रुपये पर ला दिया।
- 5 लाख रुपये पर भारत के आयकर क़ानून के अनुसार सेक्शन 87A के तहत पूरी छूट मिलती है, जिससे उनका टैक्स ज़ीरो हो गया।
नई और पुरानी कर व्यवस्था में अंतर
- नई कर व्यवस्था (New Tax Regime): टैक्स स्लैब कम होने के बावजूद यहां ज्यादातर डिडक्शन्स और छूट (Exemptions) नहीं मिलतीं। 12 लाख सैलरी वाले राकेश को नई व्यवस्था अपनाने पर करीब 71,500 रुपये टैक्स चुकाना पड़ता।
- पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime): इसमें बेसिक टैक्स स्लैब थोड़े ऊँचे हैं, लेकिन ढेरों डिडक्शन्स और छूट मिलती हैं। इनका इस्तेमाल करके राकेश ने अपनी टैक्स योग्य आय 5 लाख पर पहुंचा दी, जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता।
स्टेप-बाय-स्टेप: राकेश ने कैसे घटाई टैक्स योग्य आय
- स्टैंडर्ड डिडक्शन व सेक्शन 80C
- सबसे पहले राकेश ने स्टैंडर्ड डिडक्शन के 50,000 रुपये का लाभ लिया, जिससे टैक्स योग्य आय 12 लाख से घटकर 11.5 लाख हो गई।
- इसके बाद सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये की कटौती का लाभ उठाया। यह कटौती आमतौर पर EPF, PPF, ELSS या बच्चों की ट्यूशन फ़ीस जैसी चीज़ों में निवेश/भुगतान पर मिलती है।
- अब टैक्स योग्य आय रह गई 10 लाख रुपये।
- NPS (सेक्शन 80CCD(1B)) और होम लोन का ब्याज़
- राकेश ने NPS में 50,000 रुपये निवेश किए, जिसे सेक्शन 80CCD(1B) के तहत टैक्स छूट मिली और अब आय 9.5 लाख बची।
- घर ख़रीदने के लिए लिया गया लोन होने पर, उन्होंने होम लोन के ब्याज़ में 2 लाख रुपये की कटौती (सेक्शन 24B) ली।
- इससे टैक्स योग्य आय घटकर 7.5 लाख रह गई।
- स्वास्थ्य बीमा (सेक्शन 80D)
- राकेश ने परिवार (खुद, पत्नी, बच्चे और माता-पिता) के लिए स्वास्थ्य बीमा करवाया। इसके लिए वे 50,000 रुपये की कटौती सेक्शन 80D के तहत ले पाए।
- टैक्स योग्य आय अब घटकर 7 लाख हो गई।
- HRA छूट के ज़रिए टैक्सेबल इनकम 5 लाख
- राकेश किराए के घर में रहते थे, इसलिए उन्हें आवास किराया भत्ता (HRA) में भी छूट मिली। लगभग 2 लाख रुपये की इस कटौती से उनकी टैक्स योग्य आय 5 लाख रुपये तक आ गई।
- 5 लाख या उससे कम टैक्स योग्य आय होने पर सेक्शन 87A के तहत पूरा टैक्स माफ़ हो जाता है। इस तरह राकेश का टैक्स ज़ीरो हो गया।
पुरानी कर व्यवस्था क्यों फ़ायदेमंद हो सकती है
- नई कर व्यवस्था में छूट और डिडक्शन्स बेहद सीमित हैं।
- पुरानी व्यवस्था में, यदि आप सही जगह निवेश करते हैं—जैसे PPF, ELSS, NPS, होम लोन ब्याज़, स्वास्थ्य बीमा आदि—तो आप अपनी टैक्स योग्य आय काफ़ी कम कर सकते हैं।
- यह आपको सिर्फ़ टैक्स बचत ही नहीं देता, बल्कि नियमित निवेश से भविष्य में आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करता है।
चरण | कटौती / छूट (Deduction/Exemption) | राशि (₹) | कटौती के बाद शेष टैक्स योग्य आय |
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1. आरंभिक आय | – | – | 12,00,000 |
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन (धारा 16) | 50,000 | 50,000 | 11,50,000 |
3. सेक्शन 80C | (EPF, PPF, ELSS, बच्चों की ट्यूशन फ़ीस आदि) 1,50,000 | 1,50,000 | 10,00,000 |
4. सेक्शन 80CCD(1B) | (NPS निवेश) 50,000 | 50,000 | 9,50,000 |
5. सेक्शन 24B (होम लोन ब्याज़) | 2,00,000 | 2,00,000 | 7,50,000 |
6. सेक्शन 80D (स्वास्थ्य बीमा) | 50,000 | 50,000 | 7,00,000 |
7. HRA छूट | 2,00,000 | 2,00,000 | 5,00,000 |
8. अंतिम टैक्स (सेक्शन 87A रीबैट) | – | – | 0 (शून्य) |