बिहार के मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) ने आगामी तीन महीनों में राज्य में 27 लाख से अधिक सिम कार्ड बंद करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए और धोखाधड़ी से निपटने के उद्देश्य से उठाया गया है।
पृष्ठभूमि और निर्णय के कारण
सरकारी और प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों द्वारा जारी सिम कार्डों का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। DoT ने यह पाया है कि कई उपयोगकर्ताओं के पास 9 से अधिक सिम कार्ड रजिस्टर्ड हैं, जिनका दुरुपयोग साइबर ठगी और अन्य अवैध गतिविधियों में किया जा रहा है। इस पर कड़ी कार्रवाई करते हुए, बिहार में स्थित सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों से निर्देश दिया गया है कि वे ऐसे उपयोगकर्ताओं के सिम कार्डों का समुचित चयन करवाएं।
कौन-कौन से सिम कार्ड प्रभावित होंगे?
DoT की नई गाइडलाइंस के अनुसार, जिन उपयोगकर्ताओं के पास 9 से अधिक सिम कार्ड पंजीकृत हैं, उन्हें अपनी टेलीकॉम कंपनी को सूचित करना अनिवार्य होगा। उपयोगकर्ताओं को चुनिंदा 9 सिम कार्डों का चयन करना होगा, जिन्हें वे सक्रिय रखना चाहते हैं। यदि वे 90 दिनों के भीतर यह प्रक्रिया पूरी नहीं करते हैं, तो अतिरिक्त सिम कार्ड अपने आप बंद कर दिए जाएंगे। इस प्रक्रिया के अंतर्गत कुल 27 लाख सिम कार्ड बंद किए जाएंगे, जिनमें से 3 लाख से अधिक सिम कार्ड सरकारी टेलीकॉम कंपनियों के हैं और शेष 24 लाख प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों द्वारा जारी किए गए हैं।
साइबर ठगी में सिम कार्ड का उपयोग
साइबर अपराधियों द्वारा एक ही पहचान पर अनेक सिम कार्ड रजिस्टर कर ठगी करने की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। इस प्रकार के अपराध में अपराधी फर्जी पहचान और धोखाधड़ी के लिए कई सिम कार्डों का सहारा लेते हैं, जिससे जांच एजेंसियों के लिए अपराधी का पता लगाना कठिन हो जाता है। सरकार का मानना है कि यदि सिम कार्डों की संख्या सीमित कर दी जाए तो साइबर अपराध पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
प्रभावित क्षेत्रों और जिलों की स्थिति
बिहार के कुछ जिलों में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़े हैं। नवादा, नालंदा, औरंगाबाद, गया, जमुई, लखीसराय तथा मुंगेर जैसे जिलों में फर्जी सिम कार्डों का उपयोग कर धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। इन जिलों में डिजिटल ठगी के मामलों में वृद्धि ने सरकार को मजबूर किया है कि कठोर कदम उठाए जाएँ। इस पहल से न केवल साइबर अपराध पर रोक लगेगी, बल्कि मोबाइल नेटवर्क में पारदर्शिता और सुरक्षा भी बढ़ेगी।
कार्यान्वयन और आगे की कार्रवाई
टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रभावित उपयोगकर्ताओं को जल्द से जल्द इस नई प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्रदान करें। उपयोगकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर अपने चयनित 9 सिम कार्डों की जानकारी देनी होगी, अन्यथा उनका अतिरिक्त सिम कार्ड स्वचालित रूप से निलंबित कर दिया जाएगा। यह कदम राज्य में साइबर अपराध पर नियंत्रण पाने और डिजिटल धोखाधड़ी को कम करने में सहायक सिद्ध होगा।
सरकार की इस पहल से उम्मीद जताई जा रही है कि डिजिटल दुनिया में पारदर्शिता आएगी और अवैध गतिविधियों के लिए सिम कार्डों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा। बिहार में इस नई नीति के कार्यान्वयन से मोबाइल नेटवर्क की विश्वसनीयता में सुधार होने की संभावना है, जिससे उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित और भरोसेमंद कनेक्टिविटी मिल सकेगी।