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इन 5 जगहों पर किया हैं ट्रांजेक्शन तो हर हाल में मिलेगा Income Tax नोटिस. UPI पर भी हैं पूरा नज़र.

Lov Singh by Lov Singh
फ़रवरी 27, 2024
in Finance
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कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़ने के साथ एक गलत धारणा फैल गई है कि इस तरह के लेन-देन से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजरें बच जाती हैं। यह सोचना गलत है। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों पर एक तय रकम से अधिक के ट्रांजेक्शन की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देना जरूरी है। इसमें कार्ड पेमेंट, UPI ट्रांजेक्शन के साथ एक सीमा से ज्यादा का कैश जमा करना या निकालना शामिल है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आमदनी और खर्च के बीच की विसंगति को पकड़ने के लिए एडवांस डाटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करता है। यह विभाग बैंक स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी रिकॉर्ड, इन्वेस्टमेंट के विवरण और ट्रैवल रिकॉर्ड जैसे अलग-अलग सोर्स से जानकारियों को क्रॉस-चेक करके किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति की पूरी जानकारी जुटाता है। इसके अलावा, आय के स्रोत को सत्यापित करने और संभावित विसंगतियों की पहचान करने के लिए यह नियोक्ता (एम्प्लॉयर), ट्रैवल एजेंसी और स्टॉक एक्सचेंज जैसे बाहरी स्रोतों से जानकारी एकत्र कर सकता है।

टैक्स चोरी के मामलों में यह जांच-पड़ताल बहुत काम आती है, जिससे विभाग जांच शुरू कर सकता है और नोटिस जारी कर सकता है। साथ ही इससे सबूत जुटाने और कर वसूलने के लिए सीधे पूछताछ करने में मदद मिलती है। नीचे उन आम लेन-देन का ब्योरा दिया गया है, जो नकद में किए जाने पर टैक्स नोटिस ला सकते हैं:


सेविंग अकाउंट में बड़ी रकम कैश जमा करना

भारत में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का तब ध्यान खींचता है जब कोई एक या कई फाइनेंशियल ईयर में सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से ज्यादा जमा करता है। फाइनेंशियल ईयर (1 अप्रैल से 31 तक) में आपके सभी सेविंग अकाउंट में अगर 10 लाख रुपये से ज्यादा जमा होते हैं तो इसकी जानकारी डिपार्टमेंट को दी जाती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का निर्देश है कि बैंक इस तरह के लेनदेन की रिपोर्ट करें। अगर आपने यह रकम कई बैंकों में बांटकर जमा भी किया है लेकिन इन सभी खातों में कुल रकम 10 लाख रुपये से ज्यादा होती है, तो आप इनकम टैक्स विभाग के रडार पर आ जाएंगे।

10 लाख रुपये की सीमा को पार करने पर इसका मतलब सीधे तौर पर टैक्स चोरी नहीं है, लेकिन इससे आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रडार पर आ जाते हैं। आपको जमा की गई रकम का सोर्स बताना होगा। यदि आपकी घोषित आय इस रकम के साथ मैच नहीं करती है, तो यह जरूरी हो जाता है। यदि आपका जवाब संतोषजनक नहीं है या आपके टैक्स रिटर्न में विसंगतियां हैं, तो आपको और पूछताछ या जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

नकद में फिक्स्ड डिपॉजिट करना और कैश में शेयर, म्यूचुअल फंड और डिबेंचर खरीदना

फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरों में हालिया बढ़ोतरी के बाद बड़ी संख्या में लोगों का रुझान इस तरफ बढ़ा है। ऐसे लोगों के लिए अच्छी और जरूरी खबर है कि फिक्स्ड डिपॉजिट समेत शेयर, म्यूचुअल फंड और डिबेंचर खरीदने के मामले में कैश ट्रांजेक्शन की रकम 10 लाख या उससे ज्यादा होने पर इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है। इन नियमों का लागू होना इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि पैसा किसी भी काम से जमा किया गया है।

कैश में क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करना या कैश में प्रॉपर्टी डील

कैश में क्रेडिट कार्ड बिल भरने पर ऑटोमेटिक जांच होने का कोई नियम नहीं है। हां, अगर आप हर महीने 1 लाख रुपये से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल कैश में भर रहे हैं, तो आपको इस रकम का सोर्स बताना होगा। वहीं, प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त के मामले में 30 लाख या उससे ज्यादा वैल्यू की प्रॉपर्टी के लिए आयकर विभाग को यह बताना अनिवार्य है कि इसके लिए पैसा कहां से आया।

इनकम टैक्स की नजरों के दायरे में आने के लिए यह जरूरी नहीं है कि नियमों का उल्लंघन हो ही रहा है। अगर बड़े अमाउंट के लेन-देन को लेकर आयकर विभाग के मन में कोई सवाल पैदा होगा तो आपको सोर्स ऑफ फंड के बारे में बताना ही होगा। सोर्स ऑफ फंड के बारे में पूरी और सही जानकारी नहीं देने पर पेनाल्टी लगने से लेकर कानूनी कार्रवाई के दायरे में भी आ सकते हैं।

इनकम टैक्स विभाग को कैसे मिलती है जानकारी?

इनकम टैक्स विभाग एक तय सीमा से ज्यादा के कैश या दूसरे किसी भी माध्यम से किए गए ट्रांजेक्शन की जानकारी इकट्ठी करने के लिए अलग-अलग सोर्स का इस्तेमाल करता है।

  • बैंक और वित्तीय संस्थान: इन्हें सबसे अहम माना जाता है। बैंकों से इनकम टैक्स विभाग को एफडी/आरडी, सेविंग अकाउंट में बड़े कैश डिपॉजिट या लोन देने की जानकारी सीधी तौर पर मिल जाती है।
  • प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार: जमीन-जायदाद से जुड़े लेन-देन का सबसे बड़ा और पुख्ता सबूत प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन ऑफिस के यहां मौजूद होता है।
  • स्टॉक एक्सचेंज: शेयर, म्यूचुअल फंड और डिबेंचर समेत पूंजी बाजार से जुड़ी जानकारियां भी इनकम टैक्स विभाग के पास होती हैं।

जरूरी बातें

  • इनकम टैक्स विभाग आपकी रिटर्न, पिछले सालों की आमदनी और बड़े ट्रांजेक्शन को मिलाकर आपकी पूरी आर्थिक तस्वीर देखता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी हर कमाई का हिसाब रखें।
  • किसी भी तरह के कैश ट्रांजेक्शन में अपनी सही जानकारी देना भी बेहद जरूरी है।

अस्वीकरण (Disclaimer): यह ब्लॉग किसी भी तरह की कानूनी सलाह या सुझाव नहीं है।

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