तब इंदिरा गांधी की सरकार थी और पाकिस्तान दो क्षेत्रों में भारत को दो तरफ से अपनी सीमा लगा रहा था एक पूरी पाकिस्तान और एक पश्चिमी पाकिस्तान. बंगाल से सटे हुए पाकिस्तान में लगातार मानव अधिकारों का हनन और वहां पर सांप्रदायिक उत्पीड़न थमने का नाम नहीं ले रहा था.
आज के बांग्लादेश तब एक पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था, उसी वक्त वहां के कुछ नेताओं ने भारत से भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी से सहायता मांगी और मानव अधिकार उत्पीड़न के चरम पर पहुंचने की व्याख्या बताइए. इसके साथ ही बंगाल से सटे हुए पाकिस्तानी क्षेत्र को पाकिस्तान भारत पर हमलावर होने के लिए प्रयोग करने में जुड़ा ही हुआ था कि इसकी भनक भारत की खुफिया एजेंसी रॉ को लग गई.
Exactly 49 years ago, on 16th December 93,000 Pakistani troops raised white flags and surrendered to the #IndianArmy. On #VijayDiwas, I salute all the brave heroes and the martyrs who have valiantly defended our motherland and led us to victory in 1971 Indo-Pak war.#विजयदिवस pic.twitter.com/Rsr9qk6UCC
— Dayanand Kamble (@dayakamPR) December 16, 2020
खुफिया एजेंसी के जानकारी को इनपुट में लेकर भारतीय तत्कालीन प्रधानमंत्री ने तुरंत सारे सेना अध्यक्षों को इस स्थिति का जायजा और इसके ऊपर अपने प्लान को तैयार रखने के लिए आदेश कर दिया और यह सारी चीजें अति गोपनीय रखी गई. तब के खुफिया एजेंसियों के शानदार इनपुट और बेहतर प्रदर्शन ने उस वक्त पाकिस्तान के सारी तैयारियों के पुलिनदे भारतीय सेना प्रमुखों के सामने रख दिया.
दुनिया भर के सबसे सफल खुफिया एजेंसियों को ऑपरेशन में 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में खुफिया एजेंसियों की भूमिका गिनी जाती है. और जानकारियों का ही खेल था कि भारतीय सेना ने कभी भी पाकिस्तानी सेना को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और उनके पल पल बन रहे प्लाटून और बटालियन को बनने से पहले ही खेल भारतीय वायु सेना ने खत्म करना शुरू कर दिया.
आखिर कर घुटने टेकने पड़े और अंततः उसे अपने 93 हजार से ज्यादा सैनिकों के साथ पूरा बांग्लादेश भारत के सामने सरेंडर करना पड़ा. समझौता होने के बाद और सरेंडर करने के साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री ने यह आदेश किया कि जिनेवा समझौते के अनुसार एक युद्ध बंदियों के अनुसार जो आचरण होने चाहिए भारत उससे भी ज्यादा बढ़ चढ़कर करेगा और इस आश्वासन के बाद भारतीय सैनिकों ने दवा खाद्य सामग्री के साथ साथ हर एक वह चीज उन पाकिस्तानी सैनिकों को उपलब्ध कराया जो उनके लिए उस वक्त जरूरी था और इसके साथ ही भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के सम्मान का पूरा ख्याल रखा.
मिशन खत्म होने के उपरांत इसकी पूरी जानकारी रिपोर्ट के जरिए इंदिरा गांधी सरकार ने देश के सामने रखा और सरेंडर किए हुए क्षेत्र को भारत में ना मिलाते हुए उसे एक नए राष्ट्र बांग्लादेश के रूप में जन्म लेने के लिए आजाद कर दिया.
इसी उपलक्ष में पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आज विजय दिवस के तौर पर यह दिन मनाया जाता है.GulfHindi.com