केंद्र की मोदी सरकार ने घरेलू बाजार में गैर-बासमती चावल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास शुरू किए हैं। सरकार ने चावल उद्योग संघों को दामों को कम करने के लिए आदेश दिया है, जिससे चावल और दाल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।
चावल उद्योग संघों को निर्देश 📜
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने चावल उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की। उन्होंने उद्योग संघों को परामर्श दिया कि वे खुदरा कीमतों को तत्काल प्रभाव से कम करें। इस बैठक में चावल के दाम बढ़ने की वजह और मुनाफाखोरी पर नियंत्रण करने पर भी चर्चा की गई।
चावल की उपलब्धता और निर्यात पर प्रतिबंध 🌍
भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने जानकारी दी है कि अच्छी गुणवत्ता वाले चावल का पर्याप्त भंडार है। इसे खुला बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत 29 रुपए प्रति किलोग्राम के आरक्षित दाम पर बेचा जा रहा है। भारत ने एशिया और अफ्रीका को चावल की आपूर्ति करने के लिए सिंगापुर, नेपाल, मलेशिया और फिलीपींस समेत 14 प्रमुख देशों को 2.77 मिलियन टन (एमटी) गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को मंजूरी दी है।
तुअर दाल की कीमतों में भी गिरावट 📉
उपभोक्ताओं को और भी राहत देते हुए, सरकार ने तुअर दाल के दामों में भी कमी की योजना बनाई है। नवंबर में तुअर दाल 160 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा था, जो अब 130 रुपए प्रति किलोग्राम हो जाएगा। इस गिरावट की वजह से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी।
महत्वपूर्ण जानकारी 📊
पहलु | विवरण |
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चावल की कीमतों पर नियंत्रण | गैर-बासमती चावल के दाम कम करने के लिए उद्योग संघों को निर्देश |
चावल की उपलब्धता | FCI द्वारा अच्छी गुणवत्ता के चावल का पर्याप्त भंडार |
निर्यात पर प्रतिबंध | एशिया और अफ्रीका को चावल की आपूर्ति |
तुअर दाल की कीमतें | फरवरी तक 18% कमी की उम्मीद |
इन प्रयासों के जरिए मोदी सरकार ने चावल और दाल की कीमतों पर नियंत्रण रखने और आम उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम बढ़ाया है। इससे न केवल घरेलू बाजार में स्थिरता आएगी बल्कि आम लोगों के जीवन में भी आर्थिक राहत मिलेगी