टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड के टाटा कैपिटल लिमिटेड में विलय को बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है। मंगलवार को मिली जानकारी के अनुसार, टाटा मोटर्स लिमिटेड, टाटा कैपिटल लिमिटेड और टाटा मोटर्स फाइनेंस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने एनसीएलटी के स्कीम ऑफ अरेंजमेंट के तहत इस विलय को मंजूरी दी है।
टीसीएस करेगी शेयर जारी
मर्जर के तहत टाटा कैपिटल लिमिटेड, टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड के शेयरधारकों को अपने शेयर जारी करेगी, जिससे उनके शेयरधारकों को नई इकाई में हिस्सेदारी मिलेगी।
टाटा मोटर्स की रणनीति
यह मर्जर टाटा मोटर्स की उस रणनीति के तहत है जिसमें कंपनी नॉन-कोर बिजनेस से बाहर होने का निर्णय ले रही है और अपना फोकस उभरती हुई तकनीकों और प्रोडक्ट्स पर करेगी।
टाटा कैपिटल का प्रभाव
टाटा कैपिटल देश की सबसे बड़ी डाइवर्सिफाई एनबीएफसी में से एक है, जिसका एक लाख 60 हजार करोड़ रुपये का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) है। कंपनी रिटेल, एसएमई और कॉर्पोरेट सेग्मेंट्स में 25 से ज्यादा प्रोडक्ट्स ऑफर करती है।
टाटा मोटर्स फाइनेंस का योगदान
वहीं, 32,500 करोड़ रुपये के AUM वाली टाटा मोटर्स फाइनेंस नए और पुराने कमर्शियल व्हीकल्स, पैसेंजर व्हीकल्स, डीलर्स और वेंडर्स को फाइनेंसिंग सॉल्यूशंस मुहैया कराती है। वित्त वर्ष 2024 में टाटा कैपिटल ने 3,150 करोड़ रुपये और टाटा मोटर्स फाइनेंस ने 52 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था।
विलय से फायदे
टाटा कैपिटल की कमर्शियल और पैसेंजर व्हीकल फाइनेंसिंग में सीमित उपस्थिति है। इस मर्जर के साथ कंपनी को इस सेग्मेंट में भी पहुंच मिलेगी, जो कि तेजी से बढ़ता हुआ सेग्मेंट है।
अभी बाकी हैं मंजूरियां
इस स्कीम को अभी कई अहम मंजूरियां पाना बाकी है और अनुमान है कि मर्जर को पूरा होने में 9 से 12 महीने लग सकते हैं। टाटा मोटर्स फाइनेंस के मुताबिक, मर्जर का कंपनी के ग्राहकों या निवेशकों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।