हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उम्मीद से पीछे रहने वाली भाजपा को जल्द ही एक और बड़ा इम्तिहान देना होगा। ये इम्तिहान प्रदेश की विधानसभा सीटों पर शीघ्र होने वाले उपचुनावों में होगा। सरकार से लेकर संगठन तक की फिर से कसौटी होगी।
अगर समाजवादी पार्टी (सपा) अपने छह बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराने में कामयाब हुई, तो ये उपचुनाव 16 सीटों पर होंगे। इनमें से 11 सीटें अभी सपा के पास हैं, जबकि एनडीए के पांच विधायक सांसद बन चुके हैं, जिनमें चार भाजपा के हैं।
विपक्षी गठबंधन से नई चुनौती
मुख्य विपक्षी इंडिया गठबंधन की सामाजिक इंजीनियरिंग में उलझी भाजपा के सामने फिर से नई चुनौती खड़ी हो गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से विपक्षी गठबंधन, खासकर सपा, बहुत उत्साहित है। 37 लोकसभा सीटें जीतकर सपा यूपी में पहली और देश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
अब सपा 2027 के चुनावी सपने बुनने में लगी है। हालांकि, लोकसभा और विधानसभा चुनावों से जुड़े मुद्दे और वोटिंग पैटर्न बिल्कुल अलग होते हैं। इसी बीच, भाजपा के पास अपनी कमियों को दूर करने का पर्याप्त समय है, लेकिन उपचुनाव वाला सेमी फाइनल जल्द ही होना है।
छोड़ेंगे अपनी विधानसभा सीटें
इस लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन से कुल 14 विधायक मैदान में थे, जिनमें से नौ सांसद बन चुके हैं। भाजपा और एनडीए से जीतने वालों में अलीगढ़ की खैर सीट से विधायक अनूप प्रधान वाल्मीकि, गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग, फूलपुर से प्रवीन पटेल और मझवां से विधायक विनोद बिंद शामिल हैं।
रालोद के मीरापुर से विधायक चंदन चौहान अब बिजनौर के सांसद बन गए हैं। वहीं सपा के करहल विधायक अखिलेश यादव, मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से विधायक जियार्उरहमान बर्क, मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद, और कटेहरी से सपा विधायक लालजी वर्मा भी लोकसभा पहुंच गए हैं। कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी को सात साल की सजा मिलने के बाद उनकी विधायक भी खतरे में है।
छह बागी विधायकों का सियासी भविष्य
सपा ने अपने छह बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराने की प्रक्रिया शुरू की है। इनमें मनोज पांडेय, राकेश पांडेय, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चर्तुवेदी और पूजा पाल शामिल हैं। राज्यसभा चुनाव में सपा से बगावत कर भाजपा की मदद करने वाले ये विधायक लोकसभा चुनाव में बेअसर साबित हुए। अगर अखिलेश यादव इनकी सदस्यता खत्म कराने में कामयाब होते हैं, तो इन सीटों पर अगले छह माह में उपचुनाव हो सकते हैं।
हालिया उपचुनाव में भाजपा ने एक सीट गंवाई
लोकसभा के साथ प्रदेश की चार विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए थे। इनमें से तीन सीटें भाजपा और एक सपा के पास थीं। उपचुनावों में सपा ने एक सीट भाजपा से छीन ली। लखनऊ की पूर्वी, शाहजहांपुर की ददरौल और सोनभद्र की दुद्धी सीटें भाजपा के पास थीं, जबकि बलरामपुर की गैंसड़ी सीट सपा के खाते में थी। उपचुनावों में सपा ने गैंसड़ी और दुद्धी सीट जीत ली, जिससे दोनों पार्टियों को दो-दो सीटें मिलीं।