हाल ही में एनएसई ने मार्जिन फंडिंग के मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एनएसई ने मार्जिन फंडिंग के लिए गिरवी रखने के योग्य स्टॉक्स की लिस्ट में बड़ी कटौती की है। इस कदम से 1730 स्टॉक्स की लिस्ट में से 1010 स्टॉक्स बाहर होंगे। इसके बाद ट्रेडर्स और कारोबारी सिर्फ 720 स्टॉक्स को ही गिरवी रखकर फंडिंग जुटा सकेंगे।
समझें क्या है ये कदम
बैंक, वित्तीय संस्थान या कोई अन्य कर्जदाता दिए गए कर्ज को सुरक्षित रखने के लिए एसेट कोलेटरल के रूप में रखते हैं। इससे कर्ज न चुकाने की स्थिति में एसेट की बिक्री से रकम वापस प्राप्त की जा सके। घर, प्लॉट, गाड़ी, गोल्ड सहित स्टॉक भी ऐसे एसेट्स होते हैं। मार्जिन फंडिंग में ब्रोकर शेयरों में ट्रेडिंग के लिए कारोबारी के पास पहले से रखे शेयरों के बदले छोटी अवधि का कर्ज ऑफर करते हैं।
सख्त नियम और उनकी वजह
हर शेयर को गिरवी नहीं रखा जा सकता। फंडिंग से जुड़े जोखिमों को देखते हुए बाजार इन शेयरों के लिए खास नियम रखता है। नए नियमों के अनुसार, सिर्फ ऐसे स्टॉक्स को कोलेटरल लिस्ट में शामिल किया जाएगा जहां बीते 6 महीने के दौरान 99% सत्र में कारोबार हो और इनकी इंपेक्ट कॉस्ट 0.1% से ज्यादा न हो। इस आधार पर अदाणी पावर, यस बैंक, और भारत डायनैमिक्स सहित कुल 1010 स्टॉक लिस्ट से बाहर होंगे।
क्या होता है इसका फायदा और असर
मार्जिन ट्रेडिंग का फायदा कारोबारी और ब्रोकरेज हाउस दोनों को होता है। कारोबारी अपने पास मौजूद कम रकम के बावजूद बड़े सौदे कर सकता है, जबकि ब्रोकर को ब्याज के रूप में अतिरिक्त आय होती है।
नए फैसले के बाद फंडिंग से जुड़े जोखिम घटेंगे क्योंकि लिस्ट में अब ऐसे स्टॉक होंगे जिनकी लिक्विडिटी अधिक है और वे मजबूत माने जाते हैं। सीएनबीसी टीवी 18 को एचडीएफसी सिक्योरिटीज के डायरेक्टर आशीष राठी ने बताया है कि नए नियमों के बाद क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के पास शेयरों के गिरवी रखे जाने की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका मार्जिन ट्रेडिंग फेसिलिटी बुक पर खास असर नहीं पड़ेगा।