भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के मूल दिशानिर्देशों में संशोधन किया है। यह संशोधन उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद किया गया है जिसमें बैंकों को किसी खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले कर्जदारों को सुनवाई का मौका देने का निर्देश दिया गया था।
संशोधित दिशानिर्देशों की मुख्य बातें:
- सिद्धांत आधारित: संशोधित दिशानिर्देश सिद्धांत आधारित हैं और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन में निदेशक मंडल की भूमिका को मजबूत करते हैं।
- उच्चतम न्यायालय के फैसले का अनुपालन: दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आरबीआई के दायरे में आने वाली सभी इकाइयां उच्चतम न्यायालय के 27 मार्च, 2023 के फैसले का पालन करते हुए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को सुनिश्चित करें।
- कर्जदारों को नोटिस: कर्जदारों को नोटिस देना और उनकी बात सुनना अनिवार्य होगा।
इस कदम का महत्व:
यह कदम बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे कर्जदारों के अधिकारों की रक्षा होगी और उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें धोखाधड़ी के जोखिम को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।