आज भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों शुरुआती कारोबार में 3% तक लुढ़क गए। यह उन वैश्विक बाजार के रुझानों के वजह से है, जहां अमेरिकी मंदी की आशंकाओं और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है।
बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण:
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अमेरिकी मंदी की आशंका: अमेरिका में मंदी की बढ़ती आशंकाओं ने दुनिया भर में निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता को प्रभावित किया है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़कर लगभग तीन साल के उच्चतम स्तर 4.3% पर पहुंच गई है, जिससे ये आशंकाएं और बढ़ गई हैं। गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने अगले 12 महीनों में अमेरिकी मंदी की संभावना को 15% से बढ़ाकर 25% कर दिया है।
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मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव: ईरान में हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनियेह की हत्या के बाद बदले की धमकियों के बीच इज़राइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस भू-राजनीतिक अस्थिरता ने निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
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अत्यधिक मूल्यांकन: विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार का वर्तमान मूल्यांकन बहुत अधिक है, जिससे इसमें सुधार की संभावना है। विशेष रूप से मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट को अधिक मूल्यांकित माना जा रहा है।
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ऊंची ब्याज दरें: मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक रूप से ब्याज दरें बढ़ाने से वैश्विक बाजारों पर असर पड़ा है, जिसमें भारत भी शामिल है। अब निवेशकों को उम्मीद है कि फेड इस साल के अंत में दरों में कटौती कर सकता है।
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वैश्विक बाजार के रुझान: मंदी की आशंकाओं और भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक बाजारों में नकारात्मक भावना का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है।
विशेषज्ञों की राय:
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, वी के विजयकुमार, निवेशकों को इस समय सावधानी बरतने और जल्दबाजी में खरीदारी करने से बचने की सलाह देते हैं। उनका सुझाव है कि निवेश करने से पहले बाजार के स्थिर होने का इंतजार करना चाहिए।