HDFC बैंक ने ₹10,000 करोड़ ($1.2 बिलियन) तक के लोन पोर्टफोलियो को बेचने की योजना बनाई है। यह बैंक एक ऐसा तरीका इस्तेमाल करेगा जिसे उसने पिछले कई सालों से नहीं अपनाया था। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि बैंक अपने जमा पैसे (डिपॉजिट) बढ़ा सके और अपने मुनाफे को बनाए रख सके।
HDFC बैंक की योजना क्या है?
HDFC बैंक फिलहाल कुछ बड़े एसेट मैनेजरों जैसे ICICI प्रूडेंशियल एएमसी, निप्पॉन लाइफ इंडिया, और SBI फंड्स के साथ बातचीत कर रहा है। ये बातचीत “पास थ्रू सर्टिफिकेट्स” (PTCs) के जरिए लोन बेचने के लिए हो रही है। इन सर्टिफिकेट्स के पीछे बैंक के कार लोन होंगे। बैंक इन्हें अगले कुछ हफ्तों में कई हिस्सों में जारी करेगा, और इन पर 8.3% से 8.5% तक की ब्याज दर होगी।
पास थ्रू सर्टिफिकेट्स (PTCs) क्या हैं?
पास थ्रू सर्टिफिकेट्स एक ऐसा तरीका है जिससे बैंक अपने लोन बेचता है। HDFC बैंक ने यह तरीका पिछले 10 साल से नहीं अपनाया था। यह बैंक को अपने क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात (यानि, जमा पैसे के मुकाबले दिए गए लोन) को सुधारने में मदद करेगा। पिछले कुछ सालों में HDFC बैंक का यह अनुपात बिगड़ गया है, क्योंकि बैंक ने लोन ज्यादा दिए हैं लेकिन उसके पास जमा पैसे कम हो रहे हैं।
HDFC बैंक की वर्तमान स्थिति क्या है?
मार्च 2024 के अंत तक HDFC बैंक का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात 104% हो गया था, जो पहले 85%-88% के बीच था। इसका मतलब है कि बैंक ने जितना पैसा जमा किया है, उससे ज्यादा लोन दे दिए हैं। यह स्थिति बैंक के लिए चिंता की बात है, क्योंकि इससे तरलता (liquidity) का संकट हो सकता है।
जमा पैसे बढ़ाने का दबाव
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बैंकों से कहा है कि वे जमा बढ़ाने के तरीके खोजें। RBI ने चेतावनी दी है कि अगर बैंकों ने अपने जमा पैसे नहीं बढ़ाए, तो उन्हें भविष्य में तरलता की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।