भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने SBI लाइफ इंश्योरेंस पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कंपनी द्वारा बीमा वेब एग्रीगेटर्स और आउटसोर्सिंग से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर लगाया गया है। इसके साथ ही IRDAI ने कंपनी को कई बीमा दावों को गलत तरीके से खारिज करने के मामले में चेतावनी भी दी है।
SBI लाइफ इंश्योरेंस को क्यों लगा जुर्माना?
IRDAI की जांच में यह पाया गया कि SBI लाइफ ने कई वेब एग्रीगेटर्स जैसे Policybazaar, MIC Insurance, Compare Policy, Easypolicy और Wishfin के साथ काम किया, लेकिन इन सेवाओं और उनके भुगतान की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। कंपनी ने 2017-18 और 2018-19 में Extent Marketing and Technologies Pvt. Ltd. को 1.93 करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन इसका विवरण IRDAI को नहीं दिया गया।
इसके अलावा, IRDAI ने यह भी पाया कि SBI लाइफ ने आउटसोर्सिंग के नियमों का उल्लंघन किया और अनावश्यक रूप से अधिक शुल्क वेब एग्रीगेटर्स को दिए। IRDAI ने कंपनी को निर्देश दिया है कि वह अपने आउटसोर्सिंग संबंधी नियमों को सुधारें और इन्हें नियमानुसार लागू करें।
बीमा दावों के खारिज होने पर IRDAI की चेतावनी
IRDAI ने SBI लाइफ को जीवन बीमा के दावों को निपटाने में “बीमा अधिनियम 1938 की धारा 45” का सख्ती से पालन करने के लिए कहा। IRDAI की जांच में यह सामने आया कि SBI लाइफ ने 21 बीमा दावों को खारिज कर दिया था, जिनमें या तो जानकारी छिपाई गई थी या पॉलिसी जारी होने के तीन साल के भीतर मौत हो गई थी। लेकिन IRDAI ने पाया कि इन दावों को खारिज करने के लिए SBI लाइफ के पास पर्याप्त सबूत नहीं थे।
SBI लाइफ ने कई मामलों में कहा कि मौत तीन साल के भीतर हुई, लेकिन IRDAI ने पाया कि कंपनी ने 86 दावों का निपटारा किया, जिनमें 10.21 करोड़ रुपये (5.78 करोड़ रुपये की दावा राशि और 4.43 करोड़ रुपये की पेनल्टी) शामिल थे। IRDAI ने SBI लाइफ को निर्देश दिया है कि भविष्य में सभी दावे कानून के अनुसार निपटाए जाएं।
बीमा उत्पादों की बिक्री में गड़बड़ी पर IRDAI की चेतावनी
IRDAI ने SBI लाइफ को बीमा उत्पादों की बिक्री में नियमों का पालन न करने पर भी चेतावनी दी है। यह पाया गया कि कंपनी ने कुछ उत्पादों की बिक्री उनकी अंतिम तिथि के बाद भी जारी रखी थी। IRDAI ने पाया कि कंपनी ने कई बार उन बीमा उत्पादों को भी बेचा, जिनकी लॉन्चिंग डेट भी नहीं आई थी।
IRDAI का यह कदम पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा और बीमा कंपनियों को नियमों का पालन करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह मामला यह भी दर्शाता है कि बीमा कंपनियों को दावों को खारिज करने के पीछे स्पष्ट और पारदर्शी कारण देने चाहिए।