सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 20 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें नोएडा टोल ब्रिज कंपनी से डीएनडी फ्लाईवे (DND Flyway) पर टोल वसूलने का अधिकार छीन लिया गया था।
डीएनडी फ्लाईवे पर टोल क्यों बंद हुआ?
डीएनडी फ्लाईवे, जो नोएडा और दिल्ली को जोड़ता है, का मैनेजमेंट नोएडा टोल ब्रिज कंपनी करती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कंपनी पहले ही परियोजना की पूरी लागत, रखरखाव की लागत और मुनाफा वसूल चुकी है। इसलिए आगे टोल लगाने का कोई औचित्य नहीं है।
फैसले का असर
इस फैसले के तुरंत बाद नोएडा टोल ब्रिज का शेयर 5% गिरकर अपनी लोअर सर्किट सीमा में पहुंच गया। कंपनी की प्रमोटर IL&FS (Infrastructure Leasing & Financial Services) की इस कंपनी में 26.37% हिस्सेदारी है।
अदालत की आलोचना
सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना की लागत निकालने वाले फार्मूले को असंवैधानिक बताया। कोर्ट ने कहा कि फार्मूले की भाषा ऐसी थी जो हमेशा वसूली की अनुमति देती, जो संविधान के विपरीत है। इसके अलावा, नोएडा अथॉरिटी को भी फटकार लगाई गई क्योंकि उन्होंने प्रोजेक्ट के लिए प्रतिस्पर्धी बोलियां मंगाने में असफलता दिखाई।
हाई कोर्ट का पुराना फैसला
2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी पहले ही डीएनडी फ्लाईवे से रिटर्न, ब्याज और लागत वसूल कर चुकी है। ऐसे में टोल लेना अनुचित है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस प्रोजेक्ट के फार्मूले के मुताबिक 100 साल भी लागत वसूलने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
नोएडा टोल ब्रिज कंपनी ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में ही टोल पर रोक हटाने से इनकार कर दिया था। इस तरह, डीएनडी फ्लाईवे अब भी टोल मुक्त है।
विषय | विवरण |
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फैसला दिया | सुप्रीम कोर्ट |
टोल वसूली बंद | 20 दिसंबर 2024 |
प्रोजेक्ट मैनेजमेंट | नोएडा टोल ब्रिज कंपनी |
प्रमोटर कंपनी | IL&FS (26.37% हिस्सेदारी) |
हाई कोर्ट का फैसला | 2016 में टोल वसूली बंद का आदेश |
सुप्रीम कोर्ट ने रोक हटाई | 2017 |
फार्मूले की आलोचना | लागत वसूली के लिए अनुचित भाषा |
वर्तमान स्थिति | डीएनडी फ्लाईवे टोल मुक्त है |