भारत सरकार ने ‘भारत दाल योजना’ पिछले साल शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य दालों की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करना और उपभोक्ताओं को सस्ती और सब्सिडी वाली दालें उपलब्ध कराना है।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर दालें
सरकार ने प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे:
- अमेजन
- फ्लिपकार्ट
- स्विगी
- बिगबास्केट
- ज़ेप्टो
- ब्लिंकिट
- जियो मार्ट
को सस्ती दालों की बिक्री शुरू करने का निर्देश दिया है। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में दालें आसानी से उपलब्ध कराई जाएंगी।
योजना का कार्यान्वयन
- पहला चरण: जुलाई 2023 में शुरू हुआ।
- दूसरा चरण: अक्टूबर 2024 में लागू किया गया।
उपभोक्ताओं को होने वाला लाभ
योजना का मुख्य उद्देश्य महंगाई के कारण परेशान उपभोक्ताओं को राहत देना है। खासकर उन दालों को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराना है जिनकी कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, जैसे:
- मूंग दाल
- मसूर दाल
- चना दाल
दालों के रियायती दाम
सरकार ने निम्नलिखित दालों के लिए रियायती कीमतें तय की हैं:
दाल का नाम | कीमत (₹ प्रति किलो) |
---|---|
चना साबूत दाल | ₹58 |
चना दाल | ₹70 |
मूंग दाल | ₹107 |
साबूत मूंग दाल | ₹93 |
मसूर दाल | ₹89 |
मांग और आपूर्ति का असंतुलन
भारत में दालों की कीमतें बढ़ने का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति में असंतुलन है।
- 2024 में उत्पादन: 2.45 करोड़ टन
- 2024 की मांग: 2.7 करोड़ टन
मांग अधिक और आपूर्ति कम होने से दालों की कीमतें बढ़ रही हैं।
योजना की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में, कुछ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने सस्ती दालों की बिक्री शुरू कर दी है, लेकिन यह अभी तक पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है। सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों पर दबाव बना रही है कि वे इस योजना में पूरी तरह भाग लें ताकि अधिक से अधिक उपभोक्ताओं तक सस्ती दालें पहुंच सकें।