भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए बैंकों को निर्देश दिया कि वे सभी ईएमआई आधारित पर्सनल लोन कैटेगरी में फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का विकल्प देना अनिवार्य करें। इस फैसले से करोड़ों कर्जदारों को राहत मिलेगी, खासकर उन लोगों को जो लगातार बढ़ती ब्याज दरों से परेशान हैं।
क्या है RBI का नया नियम?
- अब सभी बैंक और वित्तीय संस्थान (Regulated Entities – REs) को पर्सनल लोन पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का विकल्प देना होगा।
- यह नियम सभी प्रकार के ईएमआई आधारित पर्सनल लोन पर लागू होगा, चाहे वह बाहरी बेंचमार्क (External Benchmark) से जुड़ा हो या आंतरिक बेंचमार्क (Internal Benchmark) से।
- लोन मंजूरी के समय ही वार्षिक ब्याज दर (Annualised Rate of Interest) या वार्षिक प्रतिशत दर (APR) की जानकारी Key Fact Statement (KFS) और लोन एग्रीमेंट में देनी होगी।
- लोन की अवधि के दौरान यदि ईएमआई या अवधि में कोई बदलाव होता है, तो इसकी जानकारी समय-समय पर कर्जदारों को दी जाएगी।
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का विकल्प क्यों जरूरी?
RBI ने अगस्त 2023 में बैंकों को निर्देश दिया था कि वे EMI चुकाने वाले कर्जदारों को फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट या लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प दें।
- बढ़ती ब्याज दरों के कारण कर्जदारों पर नेगेटिव एमोर्टाइजेशन (Negative Amortisation) का खतरा बढ़ गया था।
- इसमें EMI इतनी कम होती है कि वह ब्याज की राशि को भी कवर नहीं कर पाती, जिससे मूलधन (Principal Amount) लगातार बढ़ता रहता है।
- मई 2022 से लेकर अब तक RBI ने रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है, जिससे EMI और लोन की लागत पर असर पड़ा है।
बैंक और वित्तीय संस्थानों की जिम्मेदारी
- सभी बैंक और NBFCs को अपने ग्राहकों को ब्याज दर में बदलाव के समय फिक्स्ड रेट पर स्विच करने का विकल्प देना होगा।
- हर तीन महीने में ग्राहकों को एक स्टेटमेंट देना होगा, जिसमें अब तक चुकाई गई मूलधन और ब्याज की राशि, EMI की रकम, बची हुई EMI की संख्या और लोन की पूरी अवधि के लिए वार्षिक ब्याज दर की जानकारी दी जाएगी।
कर्जदारों को क्या फायदा होगा?
- EMI में अचानक बढ़ोतरी से राहत मिलेगी।
- फिक्स्ड रेट लोन में ब्याज दर तय रहती है, जिससे EMI में अस्थिरता नहीं आती।
- ग्राहक बेहतर तरीके से अपनी आर्थिक योजना बना सकेंगे।
- नेगेटिव एमोर्टाइजेशन से बचाव होगा, जिससे मूलधन पर अतिरिक्त बोझ नहीं बढ़ेगा।
कर्जदारों के लिए सलाह
- अगर आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है तो आप चाहें तो फिक्स्ड रेट में स्विच कर सकते हैं।
- फिक्स्ड रेट में EMI स्थिर रहती है, लेकिन फ्लोटिंग रेट में मार्केट के हिसाब से EMI घट-बढ़ सकती है।
- स्विच करने से पहले अपने बैंक से शर्तें और प्रोसेस जरूर जान लें।