परिवहन का भविष्य अब ज़मीन पर नहीं, बल्कि आसमान में उड़ने को तैयार है। अर्बन मोबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर शो (यूएमआइएस) के दौरान एयर टैक्सियों की झलक देखने को मिली, जो आने वाले कुछ वर्षों में दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर में लोगों को एक शहर से दूसरे शहर तक महज़ 15-20 मिनट में ले जाएंगी। कंपनियों ने यहां अपने एयर टैक्सी, वर्टिपोर्ट (एयर टैक्सी का पोर्ट) और संचालन से जुड़े कॉन्सेप्ट पेश किए। कुछ मॉडल तो बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए लगभग तैयार हैं, वहीं कुछ अगले साल तक हकीकत का रूप ले लेंगे।
एयर टैक्सी से 15-20 मिनट में सफर
- दो मॉडल पेश
- एक मॉडल में पायलट समेत पाँच लोग बैठ सकेंगे।
- दूसरे मॉडल में पायलट समेत छह लोग सफर कर सकेंगे।
- क्यों है खास
- आमतौर पर जो सफर लोग दो घंटे में तय करते हैं, वह इन एयर टैक्सियों से 15-20 मिनट में पूरा हो सकेगा।
- ये हेलीकॉप्टर की तरह सीधे (वर्टिकल) उड़ान भरेंगी और उतरेंगी।
सीहार्स एच5: पाँच सीटों वाली एयर टैक्सी
- कंपनी: सीहार्स एयर लिमिटेड
- मॉडल: सीहार्स एच5
- उड़ान की क्षमता:
- एक बार चार्ज करने पर 450 किमी तक उड़ान
- 550 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम
- अधिकतम स्पीड करीब 150 किमी/घंटा (संभावित)
- बहुउद्देशीय उपयोग:
- यात्री वाहन, जॉय राइड, एयर कार्गो, एयर एंबुलेंस, खोज एवं बचाव अभियान, कोस्ट गार्ड
- संस्थापक का दावा:
- कंपनी के संस्थापक अनुराग गुप्ता बताते हैं कि यह दुनिया का पहला eVTOL है, जो ज़रूरत पड़ने पर सिर्फ 10 मीटर की ऊँचाई पर भी उड़ सकता है और 8 सेकंड में आपातकालीन लैंडिंग कर सकता है।
- मार्च अगले साल से ये आसमान में उड़ता नज़र आ सकता है।
एयरडाक वर्टिपोर्ट: 6 सीटों वाली टैक्सी और 5 रुपये/किमी किराया
- कंपनी: एयरपेस इंडस्ट्रीज
- कॉन्सेप्ट: एयरडाक द वर्टिपोर्ट (एयर टैक्सी के लिए स्टेशन)
- एयर टैक्सी की खासियत:
- 6 सीटों वाली एयर टैक्सी
- अधिकतम रफ्तार 200 किमी/घंटा
- ग्रीन हाइड्रोजन और बैट्री, दोनों से चलने में सक्षम
- चार्जिंग, हाइड्रोजन फिलिंग और यात्री सुविधाओं के लिए एयरडाक नामक स्टेशन बनाए जाएँगे
- एक स्टेशन पर लगभग 10 एयर टैक्सियां रहेंगी
- पूरा स्टेशन सोलर सिस्टम से लैस होगा, ताकि शून्य कार्बन उत्सर्जन हो
- किराया करीब 5 रुपये प्रति किमी
- भविष्य की योजना:
- देश के बड़े शहरों में एयरडाक (स्टेशन) बनाने के लिए करीब 20 एकड़ ज़मीन की आवश्यकता होगी।
- पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद नागरिक उड्डयन विभाग से रूट की अनुमति ली जाएगी।
जैसे-जैसे एयर टैक्सी के मॉडल तैयार हो रहे हैं, वैसे-वैसे देश में परिवहन का एक नया अध्याय खुलने को तैयार है। कुछ ही सालों में लोग दिल्ली-एनसीआर में एक शहर से दूसरे शहर 15-20 मिनट में पहुँचने का सपना साकार कर पाएँगे। अगर ये प्रोजेक्ट उम्मीदों के मुताबिक सफल रहता है, तो आने वाले समय में हमें सड़कों से ज़्यादा हवा में टैक्सियाँ उड़ती नज़र आ सकती हैं।