मुंबई, 10 जनवरी 2025 – देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर आरोप लगाया है कि उसने NSE के बकाए का भुगतान नहीं किया, जिसके चलते NSE क्लियरिंग लिमिटेड (NCL) के लिक्विड एसेट्स में गंभीर गिरावट आ गई है।
NSE की चिंता का मुद्दा:
NSE का कहना है कि NSE क्लियरिंग लिमिटेड के लिक्विड एसेट्स, जो कि सभी लेन-देन की क्लियरिंग और सेटलमेंट के लिए एक जरूरी मापदंड है, नियामक द्वारा निर्धारित न्यूनतम स्तर से नीचे आ गए हैं। इस गिरावट का मुख्य कारण BSE द्वारा ₹312.37 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान न करना बताया गया है। NSE ने दिसंबर तिमाही के परिणामों के साथ यह जानकारी साझा की।
क्यों जरूरी है लिक्विड एसेट्स का न्यूनतम स्तर?
NSE क्लियरिंग कॉरपोरेशन का काम है कि वह ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर हुए सभी लेन-देन को सही समय पर क्लियर और सेटल कर सके। इसके लिए बाजार नियामक सेबी (SEBI) द्वारा एक न्यूनतम लिक्विड एसेट्स लिमिट तय की गई है, ताकि काउंटर-पार्टी गारंटी सुनिश्चित की जा सके। NSE ने बताया कि 9 जनवरी 2025 को उन्होंने सेबी को सूचित किया था कि उनके पास न्यूनतम लिक्विड एसेट्स से ₹176.65 करोड़ कम हैं, जिसका मुख्य कारण BSE द्वारा बकाया राशि का भुगतान न होना है। NSE ने बताया कि इस कमी की भरपाई मार्च 2025 तक आंतरिक जुटान या रिसीवेबल्स की रिकवरी के जरिए की जाएगी। साथ ही, यह भी खुलासा किया गया कि 31 दिसंबर 2024 तक अर्जित ब्याज ₹424.35 करोड़ को इस गणना में शामिल नहीं किया गया था।
NSE का दबदबा:
NSE देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, जिसका कैश मार्केट में लगभग 94% हिस्सा है। इक्विटी फ्यूचर्स में इसकी 99.9% और इक्विटी ऑप्शंस में 87.5% हिस्सेदारी है। दिसंबर तिमाही में कैश और इक्विटी फ्यूचर्स में 30% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि करेंसी फ्यूचर्स में NSE का 93% मार्केट हिस्सा है। वैश्विक स्तर पर भी NSE ट्रेडिंग वॉल्यूम और डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या के हिसाब से अपनी पहचान बनाए हुए है।
पिछले साल 2024 में NSE पर एशिया के सबसे अधिक आईपीओ हुए, जिससे देश भर में सबसे अधिक इक्विटी कैपिटल जुटाया गया। अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच NSE ने सरकार को ₹37,271 करोड़ एसटीटी के रूप में, ₹3,639 करोड़ इनकम टैक्स और जीएसटी तथा ₹2,976 करोड़ की स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया।