15 साल पहले, अगर कोई बड़ी इंडस्ट्रियल कंपनी कॉरपोरेट बॉन्ड के जरिए पैसा जुटा रही थी, तो उसे X% ब्याज देना पड़ता था। लेकिन एक मिड-साइज़ कंपनी को उसी पैसे के लिए 2% ज्यादा यानी X% + 2% ब्याज चुकाना पड़ता था।
इसका मतलब ये हुआ कि बड़ी कंपनी के मुकाबले मिड-कैप कंपनी को महंगा कर्ज़ लेना पड़ता था, जिससे उसका मुनाफा कम हो जाता था और ग्रोथ में दिक्कत आती थी।
अब हालात बदल चुके हैं। आज वही बड़ी कंपनी X% ब्याज पर पैसा उठा रही है, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि अब मिड-कैप कंपनी भी उसी दर पर फंडिंग पा रही है!
ऐसा कैसे हुआ?
👉 कैपिटल (पैसा) अब पहले से ज्यादा आसानी से उपलब्ध है।
👉 मिड-कैप कंपनियों ने अपनी बैलेंस शीट सुधारी है।
👉 इन कंपनियों की ग्रोथ और प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार हुआ है।
ग्लोबल इकोनॉमी और मिड-कैप पर असर
पिछले कुछ महीनों में शेयर बाजार में गिरावट (correction) क्यों आई?
- जब दुनिया को अहसास हुआ कि डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं, तो निवेशकों को डर लगा कि टैरिफ वॉर (आयात-निर्यात पर टैक्स की जंग) फिर से शुरू हो सकती है।
- इसका मतलब होगा महंगाई (inflation) बढ़ेगी, और जब महंगाई बढ़ती है तो ब्याज दरें ऊँची बनी रहती हैं।
- अमेरिका में ब्याज दरें ऊँची रहने का मतलब होता है कि वहां पैसा निवेश करने का आकर्षण बढ़ जाता है और उभरते हुए देशों (जैसे भारत) में कम पूंजी आती है।
लेकिन बाजार हमेशा अनिश्चितताओं को एडजस्ट कर लेता है। बीते 6 महीनों की गिरावट में यही एडजस्टमेंट हुआ है।

मिड-कैप कंपनियों की असली ताकत
अगर आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं और अच्छे रिटर्न चाहते हैं, तो मिड-कैप कंपनियां आपके पोर्टफोलियो में ज़रूर होनी चाहिए।
भले ही पिछले 6 महीनों में मिड-कैप इंडेक्स गिरे हों, लेकिन पिछले 10 सालों में इन्हीं ने सबसे ज्यादा रिटर्न दिए हैं।
सस्ते कर्ज़ का असर – कौन है असली विजेता?
अब एक उदाहरण लेते हैं गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों का –
🔹 15 साल पहले:
- मिड-कैप गोल्ड लोन कंपनियां 11.5% – 12.5% ब्याज पर पैसा जुटाती थीं।
- बड़ी ग्रामीण फाइनेंस कंपनियां 9% – 10% ब्याज पर पैसा जुटाती थीं।
🔹 आज:
- दोनों कंपनियां अब 8.75% – 9.5% ब्याज दर पर पैसा जुटा रही हैं।
फायदा किसे हुआ?
🔹 मिड-कैप गोल्ड लोन कंपनियों को।
✅ अब वे सस्ते लोन दे सकती हैं।
✅ वे अपने बिजनेस का विस्तार कर सकती हैं।
✅ कम ब्याज दर का मतलब ज्यादा प्रॉफिट और ज्यादा ग्रोथ।
ये सिर्फ फाइनेंस सेक्टर में नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग, कैपिटल गुड्स और दूसरी मिड-कैप कंपनियों के लिए भी सही है।
कैसे चुनें सही मिड-कैप स्टॉक्स?
अगर आप सही स्टॉक चुनना चाहते हैं, तो इन 5 चीज़ों पर ध्यान दें –
✅ Return on Equity (RoE): कंपनी अपने निवेश से कितना रिटर्न कमा रही है।
✅ Return on Capital Employed (RoCE): कंपनी का कुल पूंजी पर रिटर्न।
✅ Net Profit Margin: कंपनी का कुल मुनाफा कितना है।
✅ Dividend Track Record: कंपनी अपने मुनाफे में से कितना शेयरहोल्डर्स को देती है।
✅ Promoter Holding: मालिकों की हिस्सेदारी कम हो रही है या नहीं। अगर प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी बेच रहा है, तो सावधान रहिए!
टॉप 5 मिड-कैप स्टॉक्स जिनमें दम है
| कंपनी का नाम | स्कोर | राय | एनालिस्ट | संभावित बढ़त (%) | नेट मार्जिन (%) | RoE (%) | संस्थागत हिस्सेदारी (%) | मार्केट कैप | कुल मूल्य (₹ करोड़) |
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| Usha Martin | 9 | Strong Buy | 1 | 63% | 12.1% | 18.1% | 20.8% | Mid | 10,159 |
| VST Tillers Tractors | 6 | Buy | 4 | 48% | 10.7% | 12.9% | 25.4% | Small | 2,858 |
| Protean eGov Tech | 5 | Buy | 3 | 41% | 10.6% | 8.9% | 15.8% | Mid | 5,652 |
| Indigo Paints | 6 | Buy | 6 | 32% | 10.4% | 15.9% | 29.2% | Mid | 5,070 |
| CAMS | 8 | Buy | 14 | 22% | 33.4% | 46.2% | 59.8% | Mid | 16,637 |





