देश में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों के मद्देनज़र, केंद्र सरकार और आयकर विभाग ने बिना पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) वाले बैंक खातों पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। ऐसे खातों से संदिग्ध और बार-बार लेन-देन होने की स्थिति में अब सीधी कार्रवाई की जाएगी।
2024 में 75,000 से अधिक साइबर ठगी के मामले सामने आए, नकली खातों के जरिए किया जा रहा है पैसों का ट्रांजैक्शन
सूत्रों के अनुसार, 2024 में 75 हजार से अधिक साइबर अपराधों में ऐसे बैंक खाते इस्तेमाल हुए जिनमें पैन या आधार की जानकारी नहीं थी। ऐसे खातों के जरिए ठगी की रकम को इधर-उधर किया गया। इससे जुड़े मामलों में कई बार एक ही व्यक्ति के नाम पर एक से अधिक बैंक अकाउंट खुलवाए गए जिनमें कोई KYC सत्यापन नहीं हुआ था।

फर्जी खाते खोलकर किए जा रहे ट्रांजैक्शन पर अब टैक्स एजेंसियों की नजर, 60 करोड़ से अधिक आधार से जुड़े खातों की हो रही मॉनिटरिंग
आयकर विभाग और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे खातों की पहचान करें जो बिना पैन या आधार के खोले गए हैं। विशेषकर उन खातों पर नजर रखी जा रही है जिनमें बार-बार संदिग्ध ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।
वर्तमान में भारत में लगभग 60 करोड़ आधार लिंक्ड खातों की निगरानी की जा रही है। परंतु अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे खाते हैं जिनमें पूर्ण KYC नहीं की गई है।
बैंकों ने मांगा अवैध लेन-देन वाले खातों को जब्त करने का अधिकार
बैंकों के अधिकारियों के मुताबिक, हर साल हजारों खाते संदिग्ध लेन-देन के लिए पहचाने जाते हैं, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई करने की प्रक्रिया में कई बाधाएं हैं। ऐसे में बैंकों ने सरकार से सीधा ‘खाता फ्रीज’ करने का अधिकार मांगा है, जिससे ठगी से पहले ही ट्रांजैक्शन रोका जा सके।
फिलहाल, बैंक केवल संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं, लेकिन वे स्वतंत्र रूप से खाता फ्रीज या फंड सीज़ नहीं कर सकते।




