केरल की नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फांसी की सजा मिलने वाली है। इसको लेकर सोमवार को भारत के शीर्ष कानूनी अधिकारी (अटॉर्नी जनरल) आर. वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि निमिषा प्रिया को बचाने के लिए अब भारत कुछ नहीं कर सकता है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया यह दुर्भाग्यपूर्ण है… लेकिन हमारी कोशिशों की एक सीमा थी, और हम उस सीमा तक पहुंच चुके हैं।
निमिषा प्रिया को क्यों मिली फांसी की सजा
केरल की रहने वाली पेशे से नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में यमन में अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की मौत के मामले में दोषी ठहराया गया था। निमिषा ने तलाल पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, पैसे चोरी करने और पासपोर्ट जब्त कर लेने का आरोप लगाया था। बताया गया कि वह देश से भागने की कोशिश कर रही थीं। इसी प्रयास में उन्होंने तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन दिया ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस ले सकें। लेकिन इस प्रक्रिया में तलाल की मौत हो गई। हत्या की दोषी पाए जाने के मामले में यमन सरकार की ओर से निमिषा को फांसी की सजा सुनाई गई थी जो 16 जुलाई 2025 को दी जाएगी।
भारत सरकार का सुप्रीम कोर्ट में जवाब
भारत के अटॉर्नी जनरल (महाधिवक्ता) ने अदालत को बताया कि भारत ने इस मामले में हर संभव राजनयिक और कानूनी तरीका अपनाया। उन्होंने कहा, “हमने वहां के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर से बात की। एक प्रभावशाली शेख से भी संपर्क किया। लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। यमनी सरकार पर कुछ भी असर नहीं हो रहा।”
यहां तक कि जब यह उम्मीद जताई गई कि शायद फांसी को थोड़ी देर के लिए टाल दिया जाए, तब भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अटॉर्नी जनरल वेंकटारमणि ने साफ कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें सरकार से उसकी सीमा से बाहर जाकर कुछ करने को कहा जाए।”
जब अदालत ने पूछा कि क्या भारत सरकार ब्लड मनी (मुआवजे) की पेशकश को आधिकारिक समर्थन दे सकती है, तो उन्होंने सीधा जवाब दिया “कोई भी आर्थिक पेशकश सिर्फ व्यक्तिगत प्रयास के तौर पर ही हो सकती है, सरकार की तरफ से नहीं।”
ब्लड मनी’ के बदले माफी
यमन के कानून के अनुसार, अब निमिषा प्रिया को फांसी से बचाने का एकमात्र रास्ता है। तलाल अब्दो मेहदी के परिवार से माफी पाना, जिसे “ब्लड मनी” (खून-बहाया धन) देकर हासिल किया जा सकता है। लेकिन मेहदी के परिवार ने 10 लाख डॉलर (करीब ₹8.5 करोड़) की पेशकश को ठुकरा दिया है। उन्होंने यह कहते हुए माफी से इनकार किया कि यह मामला “इज़्ज़त और सम्मान” (a matter of honour) का है और इसे पैसे से नहीं सुलझाया जा सकता।
अब केवल एक उम्मीद
यह याचिका दर्ज करने वाली सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने कोर्ट को बताया कि यमन में सभी कानूनी रास्ते खत्म हो चुके हैं। सभी अपील खारिज कर दी गईं… सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल ने सजा को बरकरार रखा… राष्ट्रपति ने फांसी की मंजूरी दे दी, यह बात इस मुहिम के प्रमुख बाबू जॉन ने कही, जो निमिषा को बचाने की कोशिशों का नेतृत्व कर रहे हैं।




