कुवैत इस समय गंभीर श्रमिक संकट से जूझ रहा है। 2025 की पहली छमाही में ही 20,898 वर्क परमिट से जुड़ी शिकायतें और 21,350 अनुपस्थित या नौकरी से निकाले जाने की रिपोर्टें दर्ज हुईं।
इन अनुपस्थिति मामलों में से 7,827 केस बाद में रद्द कर दिए गए, जबकि 843 मामलों को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि संबंधित कंपनियां बंद थीं या कभी अस्तित्व में ही नहीं थीं, जिससे यह शक गहराया कि कई फर्जी कंपनियों के ज़रिए मज़दूरों का शोषण हो रहा है।
मुख्य शिकायतें
नौकरी बदलने की अनुमति, परिवार को साथ लाने की कोशिश, आखिरी यात्रा की मंजूरी रद्द होना। इनसे जुड़े 9,430 मामले सामने आए। इसके अलावा 8,646 व्यक्तिगत श्रमिक विवाद और 3,341 मामले फील्ड इंस्पेक्शन तक पहुंचे।
शेल्टर में रखे गए श्रमिक
सरकारी आश्रयों में 1,362 श्रमिकों को पनाह दी गई, जिनमें:
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1,252 महिलाएं जलीब अल-शयूख महिला शेल्टर में
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110 पुरुष हावली पुरुष शेल्टर में
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15 बच्चे भी शामिल थे, जो बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता दिखाता है।
डिजिटल सेवाएं और बढ़ती प्रक्रियाएं
सरकार की “Ash’al” पोर्टल के जरिए 11 लाख से अधिक ई-प्रक्रियाएं हुईं, जिनमें से 41.2% कर्मचारियों ने खुद दायर कीं। अन्य ऐप्स के जरिए भी हजारों सेवाएं दी गईं:
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16,100 आवेदन “Sahel Business” ऐप से
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1.5 लाख से अधिक लेन-देन Labor Services Portal से
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81,000 से अधिक निरीक्षण संबंधित प्रविष्टियां Inspection ऐप से
स्थानीय नागरिकों को प्रशिक्षण और रोजगार
“Fakhruna” प्लेटफॉर्म से 27,144 मंजूर लेन-देन, जबकि 65,412 कुवैती नागरिकों को कैशियर की नौकरी मिली और 3,252 छात्रों को प्रशिक्षण दिया गया।
गौरतलब है कि कुवैत में श्रम व्यवस्था पर जबरदस्त दबाव है। शिकायतों और शेल्टर में पहुंचने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति कड़े श्रम सुधारों, बेहतर निगरानी और प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षा की मांग करती है। सरकार द्वारा की जा रही डिजिटलीकरण और रोजगार योजनाएं एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन अभी और सुधार की ज़रूरत है।




