फरवरी 2024 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने चार लोगों को 4 किलो मेफेड्रोन के साथ गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि यह ड्रग सांगली जिले के इराली गांव में एक फैक्ट्री से आती है। पुलिस ने कई दिन उस इलाके में कैंप कर फैक्ट्री का पता लगाया। जब फैक्ट्री पर छापेमारी की गई, तो 122 किलो मेफेड्रोन और निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रसायन बरामद हुए। छापेमारी में छह लोग गिरफ्तार हुए।
जांच में सामने आया कि मुख्य नेटवर्क सलिम डोला और उनके परिवार के लोगों द्वारा विदेश से संचालित किया जा रहा था। उनका भतीजा मुस्तफा मोहम्मद कुब्बावाला यूएई और अपने गृहनगर सूरत के बीच संपर्क बनाए रखता था और फैक्ट्री को ड्रग बनाने के लिए जरूरी रसायन भेजता था।
मुंबई पुलिस ने CBI की मदद से यूएई अधिकारियों को तहिर और कुब्बावाला की जानकारी भेजी। चार हफ्तों में दोनों को यूएई से भारत प्रत्यर्पित किया गया। यह कार्रवाई उनके नेटवर्क को कमजोर करने में बड़ी मदद थी।
सलिम डोला, जिसे दाऊद इब्राहिम गिरोह से जोड़ा जाता है, मेफेड्रोन नेटवर्क का सरगना है। उनका नेटवर्क महाराष्ट्र और गुजरात में ड्रग्स बनाता और सप्लाई करता था। डोला खुद ड्रग्स नहीं लेते, सिर्फ शराब पीते हैं। उनका बेटा तहिर ड्रग्स में लिप्त था, इसलिए पूरा नेटवर्क लविश नामक उनके सहयोगी के हाथ में था। कुब्बावाला ने बताया कि रसायन 2-ब्रोमोप्रोपेन सूरत के फेक फार्मा कंपनी मालिक बृजेश मोराबिया से मंगवाए जाते थे। पुलिस ने जुलाई में मोराबिया को भी गिरफ्तार किया। अब तक इस मामले में कुल 14 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। पिछले पांच साल में महाराष्ट्र में कुल 5,158 किलो मेफेड्रोन जब्त की जा चुकी है, जिसकी कीमत ₹9,522 करोड़ आंकी गई।
इस पूरे ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क से निपटना कई देशों की मदद और सहयोग से ही संभव है। मुंबई पुलिस और अन्य एजेंसियों ने मिलकर डोला और उसके मुख्य सहयोगियों को पकड़ने में सफलता हासिल की।




