अधिकतर लोगों का यही मानना है कि रिटायरमेंट जीवन का वह चरण है जब कमाई बंद हो जाती है, सेविंग्स खर्च करनी पड़ती है और उम्मीद करनी पड़ती है कि पैसा उतना लंबा चले जितना जीवन। लेकिन बढ़ते मेडिकल खर्च, महंगाई और लंबी उम्र के चलते यह सोच कई बार आराम से ज़्यादा चिंता देती है।
लेकिन क्या हो अगर रिटायरमेंट का मतलब सिर्फ़ सेविंग्स ख़र्च करना न होकर, हर महीने सैलरी जैसी नियमित आय मिलना हो और साथ ही आपकी पूंजी बैकग्राउंड में बढ़ती भी रहे? यही सुविधा देती है Systematic Withdrawal Plan (SWP) – एक रणनीति जो रिटायरीज़ के बीच अब तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है।
SWP क्या है?
SWP म्यूचुअल फंड द्वारा दी जाने वाली एक सुविधा है, जिसमें आप अपने निवेशित फंड से तय रकम हर महीने, तिमाही या सालाना निकाल सकते हैं। इस दौरान आपकी बाकी पूंजी निवेशित रहती है और उस पर रिटर्न भी आता रहता है। इसे आप अपनी पर्सनल पेंशन स्कीम मान सकते हैं, जिसे महंगाई के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है। चार्टर्ड वेल्थ मैनेजर विजय माहेश्वरी बताते हैं कि SWP रिटायरमेंट को रोमांचक बना सकता है।
एक रिटायरमेंट का उदाहरण
मान लीजिए किसी ने रिटायरमेंट के समय ₹1 करोड़ का कॉर्पस म्यूचुअल फंड में निवेश किया।
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हर महीने वह ₹50,000 निकालना शुरू करता है।
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महंगाई को देखते हुए हर साल यह निकासी 7% बढ़ाई जाती है।
पहली नज़र में यह रिस्क भरा लग सकता है, लेकिन नतीजे चौंकाने वाले हैं।
10 साल बाद का परिणाम
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कुल निकासी: ₹80 लाख
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मौजूदा मासिक निकासी: ₹1,00,000
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बचा हुआ कॉर्पस: ₹2.75 करोड़
यानी आपने 10 सालों में ₹80 लाख खर्च कर दिए, लेकिन आपकी मूल पूंजी लगभग तीन गुना होकर ₹2.75 करोड़ हो गई।
इसके पीछे का राज़
गणित सीधा है: अगर आपकी निकासी दर < निवेश की कंपाउंडिंग दर, तो पैसा निकालने के बावजूद आपकी पूंजी बढ़ती रहती है।
यही वजह है कि SWP को एक आत्मनिर्भर रिटायरमेंट इंजन कहा जाता है—जहां आपकी पूंजी आपको नियमित “पगार” देती रहती है और खुद भी बढ़ती है।
सीख
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सिर्फ़ रिटायरमेंट के लिए सेविंग मत कीजिए।
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इसे ऐसे डिज़ाइन कीजिए कि इनकम + ग्रोथ दोनों मिले।
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SWP = स्मार्ट, सिंपल और सस्टेनेबल विकल्प।
ध्यान दें: म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिमों के अधीन हैं। ऊपर दिया गया उदाहरण केवल शैक्षिक उद्देश्य से है। वास्तविक परिणाम अलग हो सकते हैं। निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।




