एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष (मार्च 2026 को समाप्त होने वाला) की दूसरी छमाही से भारतीय बैंकों की नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में सुधार देखने को मिल सकता है। यह राहत ऐसे समय में आएगी जब रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा 100 बेसिस प्वाइंट की पॉलिसी रेट कटौती के बाद NIM में तेज गिरावट दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष छह भारतीय बैंकों में से चार को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (30 जून को समाप्त) में नेट इनकम में गिरावट का सामना करना पड़ा। इसमें सरकारी बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक और निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक तथा एक्सिस बैंक शामिल हैं। हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अप्रैल-जून तिमाही में ₹212.01 अरब का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो सालाना आधार पर 9.7% की वृद्धि है। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक का शुद्ध लाभ 15.9% बढ़कर ₹135.58 अरब रहा।
SBI ने FY26 के लिए 3% NIM का अनुमान बनाए रखा है। बैंक का NIM चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 2.77% रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 2.99% था। एचडीएफसी बैंक का मार्जिन 4.06% से घटकर 3.49% हो गया, जबकि पीएनबी का NIM 2.76% से घटकर 2.43% रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, कुछ बैंकों में एसेट क्वालिटी में हल्की गिरावट और प्रोविज़निंग में बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन एसएंडपी का मानना है कि संरचनात्मक सुधार और मजबूत आर्थिक संभावनाओं के चलते भारतीय बैंकों की एसेट क्वालिटी स्वस्थ बनी रहेगी।
हाल ही में, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 10 भारतीय बैंकों की रेटिंग अपग्रेड की थी और कहा था कि आने वाले 2–3 सालों में भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद बैंकिंग सेक्टर की ग्रोथ को बढ़ावा देगी। एजेंसी ने अनुमान जताया कि भारतीय बैंक अगले 12–24 महीनों में पर्याप्त एसेट क्वालिटी, अच्छी प्रॉफिटेबिलिटी और मजबूत कैपिटलाइजेशन बनाए रखेंगे, भले ही कुछ सेक्टरों में दबाव बना रहे।



