बेंगलुरु के सबर्बन रेलवे प्रोजेक्ट पर 29 अगस्त को एक समीक्षा बैठक हुई जिसमें रेल राज्य मंत्री V. सोमन्ना ने देरी के मसलों को उठाया। बैठक में यह बात सामने आई कि प्रोजेक्ट कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और उसे आगे की कार्रवाई के लिए फिर से देखा जाना चाहिए।
मुख्य निर्णय यह था कि अगले 20–25 दिनों के भीतर वरिष्ठ अधिकारियों और कर्नाटक सरकार के साथ एक अलग समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में यह भी देखा जाएगा कि क्या के-राइड (K-RIDE) से प्रोजेक्ट सीधे रेलवे को सौंपना बेहतर रहेगा और रेल मंत्रालय इस पर किस तरह आगे बढ़ सकता है।
प्रोजेक्ट का सार्वजनिक असर साफ है: यह 148 किलोमीटर की नेटवर्क है जिसे अक्टूबर 2020 में मंजूरी मिली थी और चरणबद्ध तरीके से अक्टूबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद थी, अंतिम समयसीमा अक्टूबर 2026 रखी गई थी। हाल की स्थिति में ठेकेदारों के निकलने, ज़मीन अधिग्रहण और एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी के चलते काम धीमा पड़ा है।
प्रायोगिक तथ्यों में शामिल हैं: प्रोजेक्ट का दायरा 148 किमी है; जून 2022 में नींव रखी गई थी और 40 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य था; इस महीने L&T ने दो कॉरिडोरों के ठेके खत्म कर दिए — चिक्काबनावारा से-bennigenahalli और हीलालिगे से राजनकुंटे। ये बिंदु देरी के प्रमुख कारणों को दर्शाते हैं।
आगे की राह में तय हुआ है कि राज्य सरकार के अधिकारियों, सांसदों और रेलवे के साथ मिलने पर काम की गति और जिम्मेदारियों का पुनर्मूल्यांकन होगा। अगले 20–25 दिनों में होने वाली समीक्षा के बाद यह स्पष्ट होगा कि कार्यान्वयन किस रूप में आगे बढ़ेगा और क्या रेलवे सीधे प्रोजेक्ट को संभालेगा।
- 29 अगस्त की समीक्षा में सबर्बन रेलवे की देरी पर चर्चा हुई।
- V. सोमन्ना ने अगले 20–25 दिनों में अलग बैठक बुलाने का आश्वासन दिया।
- बैठक में के-राइड से प्रोजेक्ट रेलवे को सौंपने पर विचार होगा।
- प्रोजेक्ट 148 किमी का है; अक्टूबर 2023 और अक्टूबर 2026 की लक्ष्यतिथियाँ थीं।
- L&T ने दो कॉरिडोर के ठेके इस महीने समाप्त कर दिए हैं।


