नेपाल सरकार के नए नियमों के तहत अब 8,000 मीटर से ऊंची सभी पर्वत चोटियों पर सोलो चढ़ाई और ट्रेकिंग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। यह प्रावधान 1 सितंबर से औपचारिक रूप से लागू हो गया है और इसके साथ ही एवरेस्ट समेत सभी ऊंचे पर्वतों पर अकेले चढ़ाई करने का दौर समाप्त हो गया है। फरवरी में प्रकाशित नेपाल गजट में जारी छठे संशोधन के अनुसार, अब हर दो पर्वतारोहियों के साथ कम से कम एक उच्च-ऊँचाई कार्यकर्ता या गाइड होना अनिवार्य है।
नए नियमों के तहत एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए विदेशी पर्वतारोहियों की रॉयल्टी फीस भी बढ़ा दी गई है। वसंत ऋतु (मार्च से मई) में दक्षिणी मार्ग से एवरेस्ट पर चढ़ाई की अनुमति शुल्क 11,000 डॉलर से बढ़ाकर 15,000 डॉलर प्रति व्यक्ति कर दिया गया है। इसी तरह, शरद ऋतु में शुल्क 5,500 डॉलर से बढ़कर 7,500 डॉलर, जबकि सर्दियों और मानसून के दौरान यह शुल्क 2,750 डॉलर से बढ़कर 3,750 डॉलर कर दिया गया है। अन्य 8,000 मीटर ऊँचे पर्वतों की फीस भी लगभग दोगुनी कर दी गई है। नेपाली पर्वतारोहियों के लिए भी शुल्क 75,000 रुपये से बढ़ाकर 1,50,000 रुपये कर दिया गया है।
नियमों के तहत अब पर्वतारोहियों के परिवार के सदस्य और गाइड्स को भी बिना अनुमति बेस कैंप में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, शिखर पर पहुँचने के प्रमाण के लिए पर्वतारोहियों को स्पष्ट तस्वीरें और पृष्ठभूमि में पर्वतमालाओं के दृश्य प्रस्तुत करने होंगे। पर्वतारोहण से जुड़े कर्मचारियों जैसे लायजन ऑफिसर, गाइड और बेस कैंप वर्कर्स की मजदूरी और भत्ते भी बढ़ा दिए गए हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए यह भी अनिवार्य किया गया है कि पर्वतारोही अपने साथ उत्पन्न कचरा, यहाँ तक कि मानव अपशिष्ट भी, बेस कैंप तक वापस लाएँ और उसे निर्धारित स्थान पर निपटाएँ। इसके लिए उन्हें बायोडिग्रेडेबल बैग साथ ले जाने होंगे। 1953 से अब तक नेपाल की ओर से दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट पर करीब 8,900 लोग सफलतापूर्वक चढ़ाई कर चुके हैं।




