केरल में Naegleria fowleri जिसे आमतौर पर “ब्रेन-ईटिंग” अमीबा कहा जाता है इससे संक्रमित 69 मामले सामने आए है। इसमें 19 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि हाल के महीनों में तीन मौतें हुईं, जिनमें एक तीन महीने के शिशु की भी मौत शामिल है।
अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस (PAM) एक दुर्लभ लेकिन घातक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संक्रमण है, जो मीठे पानी, झीलों और नदियों में पाए जाने वाले फ्री-लिविंग अमीबाओं के कारण होता है। केरल में पिछले साल 36 मामले और 9 मौतें हुई थीं। इस साल मामलों का पैटर्न अलग है; पिछले साल की तरह एक ही पानी के स्रोत से जुड़े क्लस्टर नहीं दिखाई दे रहे हैं, बल्कि ये सभी अलग-अलग और अलग-थलग मामले हैं, जिससे महामारी विज्ञान की जांच जटिल हो गई है।
सरकार ने अब कुओँ, जलाशयों और सार्वजनिक स्नान स्थलों को क्लोरीनेट करना शुरू कर दिया है, ताकि लोगों के अमीबा के संपर्क में आने का खतरा कम हो सके। ग्लोबली, PAM से बचने की संभावना लगभग 3 प्रतिशत है, लेकिन केरल में उन्नत परीक्षण और निदान की वजह से यह दर 24 प्रतिशत तक पहुंच गई है। सरकारी दस्तावेज़ में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से पानी का तापमान बढ़ रहा है और गर्मी के कारण लोग ज्यादा समय जलक्रीड़ा में बिता रहे हैं, जिससे इस पैथोजन से संपर्क की संभावना बढ़ रही है।




