गाज़ा में चल रही संघर्षविराम (सीज़फायर) व्यवस्था एक बार फिर डगमगा गई है। रविवार को इज़रायल ने गाज़ा में कई जगह एयरस्ट्राइक और टैंक फायर किए। इज़रायल का कहना है कि यह कार्रवाई उसकी सेनाओं पर हुए हमले के जवाब में की गई। इस बीच, स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि इन हमलों में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है।
इज़रायल बोला — सेना पर हमला हुआ, इसलिए जवाब देना ज़रूरी था
इज़रायल आर्मी के मुताबिक रफ़ाह क्षेत्र में उनके सैनिकों पर एंटी-टैंक मिसाइल और फायरिंग की गई। इसके बाद सेना ने उन स्थानों को निशाना बनाया, जहां से हमला होने की आशंका थी।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने सेना को “कड़ी जवाबी कार्रवाई” का आदेश दिया है।

हामास का बयान — हम सीज़फायर का पालन कर रहे हैं
हामास की सैन्य शाखा ने कहा कि वे पूरे गाज़ा में सीज़फायर को मान रहे हैं और रफ़ाह में क्या हुआ, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। हामास ने दावा किया कि वह किसी भी तरह का संघर्ष दोबारा शुरू नहीं करना चाहता।
सीज़फायर 11 अक्टूबर से लागू है और इसे दो साल से चल रहे युद्ध को रोकने की दिशा में एक बड़ी उम्मीद माना गया था।
सीमा पार गतिविधि पर चेतावनी — “लाइन क्रॉस की तो फायर मिलेगा”
इज़रायल के रक्षा मंत्री ने कहा कि सीज़फायर के दौरान जिस जगह तक सेना पीछे हटी है, उस “पीली लाइन” को अब कड़ाई से चिह्नित किया जाएगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि कोई भी उल्लंघन या लाइन पार करने की कोशिश सीधे फायरिंग का सामना करेगी।
रफ़ाह बॉर्डर अब भी बंद, एक-दूसरे पर आरोप जारी
रफ़ाह बॉर्डर, जो गाज़ा और मिस्र के बीच मानवीय मदद का मुख्य रास्ता रहा है, अब भी बंद है।
इज़रायल कह रहा है कि बॉर्डर तभी खुलेगा जब हामास सीज़फायर शर्तें पूरी करेगा।
दूसरी ओर, हामास आरोप लगा रहा है कि इज़रायल ने उसके उल्लंघन से 46 लोगों की जान गई और सप्लाई रुक गई।
बंधकों के शवों को लेकर भी तनाव
इज़रायल का कहना है कि हामास बंधकों के शव सौंपने में देरी कर रहा है, जबकि हामास का दावा है कि कई शव मलबे में दबे हैं और उन्हें निकालने के लिए विशेष उपकरण चाहिए।




