Ola के CEO भाविश अग्रवाल ने दावा किया कि “1 में से 2 इलेक्ट्रॉन बैटरियों में स्टोर होकर इस्तेमाल होंगे और बैटरी स्टोरेज ऑटो इंडस्ट्री से भी बड़ा सेक्टर बनेगा।”
लेकिन असल दुनिया में ट्रेंड उल्टा जा रहा है — 24×7 ग्रीन एनर्जी का भविष्य सिर्फ बैटरियों पर नहीं टिका, बल्कि Hydrogen, Pumped Hydro, Gravity Power, Thermal Storage और Smart-Grid की बहु-तकनीकी दिशा में दुनिया आगे बढ़ रही है।
भारत ने खुद National Green Hydrogen Mission के तहत 2030 तक 5 MTPA ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा है — जो स्टील, फर्टिलाइज़र, रिफाइनरी, ट्रांसपोर्ट और 24×7 इंडस्ट्रियल एनर्जी में इस्तेमाल होगा। यह बताता है कि भविष्य मल्टी-टेक सॉल्यूशन का है, बैटरी मोनोपॉली का नहीं।
🟥 Ola को पहले अपने घर की आग बुझानी चाहिए — Customers भटके पड़े हैं
जहाँ दुनिया long-duration clean energy के मॉडल पर आगे बढ़ रही है, वहीं Ola के ग्राहक आज भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं:
| Ola Users की शिकायतें | Reality |
|---|---|
| सर्विस सेंटर महीनों तक पार्ट नहीं देते | ग्राहक 30–90 दिन तक स्कूटर खड़ा रखते हैं |
| “Hyper Service” सिर्फ स्लोगन | ग्राउंड-लेवल पर सर्विस नेटवर्क बेहद कमजोर |
| बैटरी/रेंज/सॉफ्टवेयर इश्यू लगातार ट्रेंड में | Twitter (X) और Reddit पर रोज शिकायतें |
| Customer care से deep-resolution नहीं | सिर्फ bot और scripts वाले जवाब |
| Promise बड़ा, Execution कमजोर | “Future factory” से ज्यादा “Future frustration” |

ग्राहक कह रहे हैं –
“Ola को नई तकनीकें बेचने से पहले पुराना स्कूटर ठीक करने की क्षमता हासिल करनी चाहिए।”
“भारत 24×7 ग्रीन एनर्जी के लिए बैटरी-डिपेंडेंट फ्यूचर नहीं, Multi-Tech Future बना रहा है। Hydrogen + Pumped Hydro + Smart Grid + Gravity Power मॉडल पूरी दुनिया में तेजी पकड़ रहा है। Ola को Tech-discourse में बड़े दावे करने से ज़्यादा अपने लाखों ग्राहकों की Real समस्याएँ हल करनी चाहिए।”
“विजन अच्छा है, लेकिन विश्वसनीयता उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है। भारत ग्रीन एनर्जी में आगे बढ़ेगा — लेकिन बैटरियों पर आश्रित होकर नहीं, और Ola जैसी कंपनियों को पहले भरोसा कमाना होगा, भविष्य बेचना नहीं।”




