यहां पढ़िए कि ऐसे मामले में कितनी सजा या जुर्माना हो सकता है।
हाल ही में एक महिला कोच में इलेक्ट्रिक केतली लगा कर मैगी बनाती दिखी और इस पर रेलवे ने कार्रवाई की। यह घटना यात्रियों के बीच चर्चा बनी और रेलवे अधिकारियों को इसकी जानकारी मिलते ही कदम उठाया गया। घटना किसी विशेष स्टेशनों तक सीमित नहीं बताई गई, केवल यह बताया गया कि यह ट्रेन में यात्रा के दौरान हुआ।
रेलवे के नियमों के अनुसार ट्रेनों की पावर सप्लाई घर जैसी नहीं होती और हाई-वॉटेज उपकरणों का इस्तेमाल मना है। ऑफिशियल तौर पर कहा गया है कि केवल मोबाइल, पावर बैंक या लैपटॉप जैसे लो-वॉटेज डिवाइस को चार्ज करने की छूट होती है, जबकि केतली, इंडक्शन या अन्य हाई-वॉटेज गैजेट अनुमति में नहीं आते।
हाई-वॉटेज उपकरणों से कोच की वायरिंग और लाइन पर लोड बढ़ जाता है। इससे ओवरहीटिंग, शॉर्ट सर्किट, ब्रेकर गिरना या धुआं और आग लगने का खतरा बढ़ता है। ऐसे जोखिमों के चलते रेलवे ने इन उपकरणों के उपयोग पर सख्ती बरती है और सुरक्षा कारणों से कार्रवाई की जा सकती है।
रेलवे एक्ट के तहत सेक्शन 153 के अनुसार हाई-वॉटेज उपकरण चलाने पर जुर्माना और छह महीने तक की सजा का प्रावधान है। अगर इस हरकत से नुकसान हुआ या कोच में आग-धुआं जैसी स्थिति बनी तो सेक्शन 154 लागू हो सकता है, जिसमें जुर्माना और दो साल तक की सजा तक का प्रावधान है। मामले की गंभीरता के अनुसार कार्रवाई अलग हो सकती है।
नियम पहले से लागू हैं और हालिया घटनाओं के बाद रेलवे ने इन नियमों के पालन पर जोर दिया है। लागू करने और कार्यवाही करने के निर्देश स्थानीय स्टेशन और ट्रेनों के संबंधित स्टाफ के जरिए होते हैं। यात्रियों के लिए इन्हीं नियमों के अनुरूप कार्रवाई आगे जारी रहेगी।
- ट्रेन में महिला ने इलेक्ट्रिक केतली चला कर मैगी बनायी, रेलवे ने कार्रवाई की।
- ट्रेन की पावर सप्लाई घरेलू नहीं, हाई-वॉटेज उपकरण मनाही में हैं।
- ऐसे उपकरणों से ओवरहीटिंग, शॉर्ट सर्किट और आग का खतरा बढ़ता है।
- सेक्शन 153 के तहत जुर्माना और छह महीने तक की सजा का प्रावधान है।
- नुकसान होने पर सेक्शन 154 लागू हो सकता है, जिसमें दो साल तक की सजा संभव है।




