यूएई ने 2026 की शुरुआत से जुमे की नमाज़ के समय में बदलाव करने का बड़ा फैसला किया है, जिसके तहत पूरे देश की मस्जिदों में जुमे की नमाज़ अब दोपहर 12:45 बजे अदा की जाएगी। यह नया समय अमीरात के सभी अमीरातों में एक समान रूप से लागू होगा, ताकि कामकाजी लोग और छात्र समय पर खुतबा और नमाज़ में आसानी से शामिल हो सकें।
नई व्यवस्था क्या कहती है
यूएई की जनरल अथॉरिटी फ़ॉर इस्लामिक अफेयर्स, एंडोमेंट्स एंड ज़कात (AWQAF) ने आधिकारिक सर्कुलर जारी कर बताया कि जनवरी 2026 के पहले जुमे से पूरे देश में जुमे का खुतबा और नमाज़ दोपहर 12:45 बजे शुरू होगी। अभी कई मस्जिदों में जुमे की नमाज़ लगभग 1:15 बजे के आसपास होती है, जिसे आगे बढ़ाकर एक統ीकृत समय 12:45 बजे पर लाया जाएगा।

अथॉरिटी ने मस्जिदों के इमामों और मुस्तअमिनों (नमाज़ियों) से अपील की है कि वे नए समय का कड़ाई से पालन करें और नमाज़ से पहले समय पर मस्जिद पहुँचने की आदत डालें। मस्जिदों को निर्देश दिया गया है कि खुतबा और नमाज़ की कुल अवधि को सामान्यतः सीमित और अनुशासित रखा जाए, ताकि गर्मी और कामकाजी समय, दोनों का संतुलन बना रहे।
बदलाव की वजह और पृष्ठभूमि
अधिकारियों के अनुसार यह कदम देशभर में जुमे की नमाज़ के समय को मानकीकृत करने और सरकारी व निजी क्षेत्र में शुक्रवार के कार्य समय के साथ बेहतर तालमेल बैठाने के लिए उठाया गया है। यूएई ने पहले भी वीकेंड व्यवस्था में बदलाव कर वैश्विक कारोबारी कैलेंडर के अनुरूप शुक्रवार को आधा दिन और शनिवार–रविवार को ऑफ़िशियल छुट्टी घोषित की थी, जिसके बाद अब जुमे के समय में यह संशोधन किया जा रहा है।
धार्मिक निकायों का कहना है कि एक तय और पहले से घोषित समय से लोगों की रोज़मर्रा की दिनचर्या में स्पष्टता आएगी और सड़क व मस्जिदों के आसपास ट्रैफ़िक प्रबंधन में भी आसानी होगी। साथ ही, स्कूलों और दफ़्तरों में भी शुक्रवार के शेड्यूल को नए नमाज़ समय के हिसाब से व्यवस्थित करने की तैयारी शुरू हो गई है।
सभी अमीरातों पर समान लागू
सर्कुलर के अनुसार यह नया समय अबू धाबी, दुबई, शारजाह, अजमान, उम्म अल क्वैन, रस अल खैमा और फुजैरा—सभी अमीरातों की मस्जिदों पर समान रूप से लागू होगा। इससे पहले अलग–अलग अमीरातों और मस्जिदों में कुछ मिनटों का अंतर देखा जाता था, जिसे अब खत्म कर दिया जाएगा।
यूएई की प्रमुख वेबसाइटों और अख़बारों ने बताया है कि नए समय के लागू होने से पहले मस्जिदों, मीडिया और सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स के ज़रिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि किसी भी नमाज़ी को समय को लेकर भ्रम न रहे। धार्मिक मामलों की प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया है कि पाँचों फ़र्ज़ नमाज़ों के दैनिक समय स्थानीय खगोलीय गणना के मुताबिक़ चलते रहेंगे, सिर्फ़ जुमे की जमात के लिए स्थिर समय 12:45 बजे तय किया गया है।
प्रवासी समुदाय और कामकाजी वर्ग पर असर
यूएई में बड़ी संख्या में भारतीय, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और अन्य देशों के प्रवासी मुस्लिम कामकाजी समुदाय रहते हैं, जिनके लिए जुमे की नमाज़ का समय बेहद अहम होता है। नए समय से उम्मीद है कि कई कंपनियाँ और दफ़्तर अपने लंच ब्रेक और शुक्रवार की शिफ़्ट को इस तरह सेट कर पाएँगी कि कर्मचारियों को खुतबा से लेकर नमाज़ तक पूरी तरह शामिल होने का अवसर मिले।
विशेषज्ञों के अनुसार शुक्रवार की नमाज़ को दोपहर 12:45 बजे फिक्स करने से सर्दी–गर्मी दोनों मौसमों में दुपहर के समय के बीच संतुलन बना रहेगा और छोटे बच्चों, बुज़ुर्गों व रोज़ेदारों (रमज़ान के दौरान) के लिए भी मस्जिद पहुँचना अपेक्षाकृत सुगम रहेगा। धार्मिक विद्वान इसे इबादत की अदायगी को आसानी और अनुशासन के साथ जोड़ने की दिशा में अहम प्रशासनिक कदम के रूप में देख रहे हैं।





