आज 17 दिसंबर, 2025 को भारतीय रुपये (INR) में एक बार फिर भारी गिरावट देखने को मिली है। अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है और 91 का आंकड़ा पार कर चुका है।
इस गिरावट का सीधा असर खाड़ी देशों (Gulf Countries) की करेंसी पर भी पड़ा है, जिससे वहां रहने वाले भारतीयों (NRIs) को पैसा भेजने पर ज्यादा रुपये मिल रहे हैं, लेकिन विदेश में पढ़ने वाले छात्रों और घूमने जाने वालों की जेब पर बोझ बढ़ गया है।

आज का एक्सचेंज रेट (17 दिसंबर 2025)
बाजार खुलते ही प्रमुख मुद्राओं के रेट इस प्रकार दर्ज किए गए:
| करेंसी (Currency) | भारतीय रुपये में कीमत (Rate in INR) |
| अमेरिकी डॉलर (USD) | ₹91.04 |
| यूएई दिरहम (AED) | ₹24.77 |
| सऊदी रियाल (SAR) | ₹24.27 |
| कुवैती दीनार (KWD) | ₹296.98 |
| बहरीन दीनार (BHD) | ₹241.48 |
| ओमानी रियाल (OMR) | ₹236.81 |
| कतरी रियाल (QAR) | ₹24.94 |
(नोट: यह इंटरबैंक रेट हैं, मनी एक्सचेंज या बैंक में रेट थोड़ा अलग हो सकता है)
गिरावट का विश्लेषण: रुपया क्यों टूट रहा है?
बाजार के जानकारों के मुताबिक, रुपये की इस कमजोरी के पीछे 3 मुख्य कारण हैं:
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विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी निवेशक (FIIs) भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। 2025 में अब तक करीब 18 अरब डॉलर की निकासी हो चुकी है।
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भारत-अमेरिका ट्रेड डील में देरी: अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में हो रही देरी और वहां से लगने वाले भारी टैक्स (Tariffs) की वजह से रुपये पर दबाव बना हुआ है।
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इंपोर्टर्स की डॉलर मांग: तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान मंगाने वाली कंपनियां भारी मात्रा में डॉलर खरीद रही हैं, जिससे डॉलर की कीमत बढ़ रही है और रुपया कमजोर हो रहा है।
किसको फायदा, किसको नुकसान?
✅ फायदा (Pros):
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NRIs के लिए खुशखबरी: खाड़ी देशों (दुबई, सऊदी, कुवैत आदि) और अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों के लिए यह बहुत अच्छा मौका है। वे अब घर पैसा भेजेंगे तो उनके परिवार को पहले के मुकाबले ज्यादा रुपये मिलेंगे।
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एक्सपोर्टर्स (IT और फार्मा): जो कंपनियां अपना सामान विदेश बेचती हैं (जैसे TCS, Infosys या दवा कंपनियां), उनकी कमाई बढ़ जाएगी क्योंकि उन्हें डॉलर में भुगतान मिलता है।
❌ नुकसान (Cons):
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महंगाई का डर: भारत अपना 80% कच्चा तेल बाहर से खरीदता है। रुपया कमजोर होने से पेट्रोल-डीजल और बाहर से आने वाला सामान (मोबाइल, लैपटॉप) महंगा हो सकता है।
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छात्रों पर बोझ: जो छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं, उनके माता-पिता को अब फीस और खर्च के लिए ज्यादा पैसे भेजने पड़ेंगे।
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विदेश यात्रा: अगर आप इन छुट्टियों में विदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपका बजट बिगड़ सकता है क्योंकि फ्लाइट और होटल बुकिंग महंगी हो जाएगी।
फिलहाल रुपये में सुधार की उम्मीद कम दिख रही है। अगर आप NRI हैं, तो रेमिटेंस (Remittance) भेजने का यह सही समय हो सकता है।





