देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण के बीच एयर प्यूरीफायर अब विलासिता की वस्तु नहीं, बल्कि एक जरूरत बन गया है। जहरीली हवा से बचने के लिए लोग एयर प्यूरीफायर खरीद रहे हैं, लेकिन इसकी ऊंची कीमतों और उस पर लगने वाले भारी टैक्स ने आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर सख्ती दिखाते हुए जीएसटी काउंसिल को एयर प्यूरीफायर पर लगने वाले 18% टैक्स को कम करने या खत्म करने पर तुरंत विचार करने का निर्देश दिया है। हालांकि, अभी तक टैक्स स्लैब में कोई आधिकारिक बदलाव नहीं हुआ है।
खराब हवा को ‘इमरजेंसी’ जैसी स्थिति बताते हुए कोर्ट ने कहा- अगर सरकार साफ हवा नहीं दे सकती तो कम से कम टैक्स घटाए
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रदूषण की मौजूदा स्थिति को “इमरजेंसी” जैसा बताया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि नागरिकों को साफ हवा देना सरकार की जिम्मेदारी है, और अगर सरकार ऐसा करने में असमर्थ है, तो कम से कम लोगों को राहत देने के लिए एयर प्यूरीफायर जैसे उपकरणों पर जीएसटी की दरें कम करनी चाहिए। कोर्ट ने जीएसटी काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह जितनी जल्दी हो सके बैठक बुलाए और एयर प्यूरीफायर तथा HEPA फिल्टर पर लगने वाले टैक्स को घटाने या कुछ समय के लिए पूरी तरह समाप्त करने के विकल्प पर विचार करे। इस मामले में अगली सुनवाई 26 दिसंबर को तय की गई है।
मेडिकल डिवाइस नहीं बल्कि ‘अन्य घरेलू उपकरण’ की श्रेणी में है एयर प्यूरीफायर, इसलिए ग्राहक चुका रहे हैं 18% भारी-भरकम टैक्स
मौजूदा नियमों के तहत एयर प्यूरीफायर को “जीवन रक्षक” या “मेडिकल डिवाइस” (Medical Device) नहीं माना जाता है। इसे 18% टैक्स स्लैब वाले “अन्य इलेक्ट्रिकल/हाउसहोल्ड उपकरण” की श्रेणी में रखा गया है। यही कारण है कि ग्राहकों को इसकी खरीद पर 18% जीएसटी देना पड़ता है। इसके अलावा, अगर एयर प्यूरीफायर विदेश से इंपोर्ट किया जा रहा है, तो उस पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (लगभग 7.5%) और सोशल वेलफेयर सरचार्ज भी लगता है, जिससे इसकी कुल कीमत और ज्यादा बढ़ जाती है। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि इसे मेडिकल डिवाइस मानकर 5% टैक्स स्लैब में लाया जाए।
संसदीय समिति की भी सिफारिश- प्रदूषण से बचने के लिए यह अब ‘जरूरी साधन’, टैक्स 5% या शून्य करने पर सहानुभूति से हो विचार
सिर्फ कोर्ट ही नहीं, बल्कि संसद की पर्यावरण स्थायी समिति ने भी एयर प्यूरीफायर पर टैक्स कम करने की वकालत की है। समिति ने सिफारिश की है कि प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए ये मशीनें अब लोगों की सेहत के लिए जरूरी हो गई हैं, इसलिए इन पर और इनके फिल्टर पर जीएसटी कम या शून्य करने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। अगर इसे आवश्यक वस्तु या मेडिकल डिवाइस की श्रेणी में डाल दिया जाता है, तो इस पर टैक्स घटकर 5% रह जाएगा, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी।
क्या सस्ते होंगे प्यूरीफायर? जानिए अगर आप आज खरीदारी करने जा रहे हैं तो आपकी जेब पर अभी क्या असर पड़ेगा
कोर्ट के आदेश के बावजूद, ग्राहकों के लिए व्यावहारिक स्थिति अभी नहीं बदली है। आज की तारीख में अगर कोई एयर प्यूरीफायर खरीदता है, तो उसे एमआरपी में जुड़ा हुआ 18% जीएसटी चुकाना ही होगा। जब तक जीएसटी काउंसिल औपचारिक फैसला नहीं लेती और नया नोटिफिकेशन जारी नहीं होता, तब तक पुरानी दरें ही लागू रहेंगी। “Essential” घोषित होने के बाद ही 5% या 0% जैसी रियायती दरें लागू हो सकती हैं। फिलहाल दुकानदार या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पुरानी दरों पर ही बिक्री कर रहे हैं, और अभी टैक्स छूट का कोई नियम लागू नहीं हुआ है।




