देश में बढ़ते पेट्रोल और डीजल की मांग और दाम दोनों से सरकार और जनता परेशान है. मांग बढ़ती है तब देश को ज्यादा तेल विदेशों से खरीदना पड़ता है जिसके वजह से विदेशी मुद्रा भंडार कम होता है और सरकार चिंतित होती है. वहीं विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने के वजह से भारतीय रुपए पर दबाव बनता है और यह भी एक कारण होता है कि पेट्रोल और डीजल के दाम नीचे जल्दी से नहीं आ पाते हैं और ऐसी स्थिति में जनता परेशान होती हैं.
भारत कम करेगा आयात.
अभी मौजूदा स्थिति में भारत अपनी जरूरत का अधिकांश हिस्सा कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है जिसके वजह से इसकी कीमतें विदेशी प्रभाव में हमेशा रहते हैं. भारतीय सरकार अब कच्चे तेल के लिए विदेशों पर निर्भर करके देश के भीतर स्थित तेल भंडारों को उपयोग में लाएगी.
सरकार का कहना है कि 2030 तक भारत खुद अपने उपयोग का 25% कच्चा तेल देश के भीतर ही पूरा कर लेगा और इसके लिए 26 ब्लॉक का आवंटन किया गया है. मौजूदा स्थिति में भारत अपनी जरूरत का 85% तेल विदेशों से आयात करता है जिसके दाम जियोपोलिटिक्स और अन्य कारकों पर अक्सर इधर-उधर होते रहते हैं.
भारत क्या करेगा सस्ते तेल के लिए.
भारत पेट्रोल और डीजल में बायोफ्यूल का उपयोग बढ़ा रहा है और एथेनॉल ब्लेंडिंग को तेजी से आगे कर रहा है.
बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान और कई अन्य राज्यों में कच्चे तेल के भंडार के पता लगाए जा रहे हैं.
Honda Activa 125cc शोरूम से केवल 3999 रुपये में ले जाने का मौक़ा, सही दाम और पूरा ऑफर जानिए