Hydrogen IC Engine : हाइड्रोजन (इंटरनल कंबंशन किफायती आइसीई इंजन ) तकनीक है, जिससे व्यावसायिक वाहनों के प्रदूषण में कटौती की जा सकती है। इंटरनल कंबंशन से हीट और प्रेशर जेनरेट होता है। मोटे तौर पर देखें, तो यह तकनीक सीएनजी इंजन से कुछ हद तक मिलती है। लेकिन, यहां पर सीएनजी के बजाय हाइड्रोजन ईंधन होता है। इलेक्ट्रोलाइजर तकनीक में पानी से हाइड्रोजन और आक्सीजन को अलग कर दिया जाता है।
Indian Oil ने विकसित करवाया नया तकनीक
हालांकि, यह तकनीक अभी महंगी है, लेकिन इसका व्यवसायीकरण और बड़े स्तर पर उत्पादन होने पर एक बेहतर विकल्प तैयार हो सकेगा। कमिंस हाइड्रोजन आइसी इंजन का प्रोटो टाइप तैयार करने के बाद एडवांस्ड स्टेज में टेस्ट कर रहा है। कंपनी इसे भारत, चीन और उत्तरी अमेरिका में लांच करने की तैयारी में है। आर-डीएमआइ यानी रिन्यूएबल-डायमेथिल ईथर से पुणे के स्टार्टअप अमोल कास ने इंडियन आयल की मदद से इस तकनीक को विकसित किया है ।
इसके आर एंड डी प्रमुख डा. योगेश जोशी बताते हैं कि आर डीएमई एक ऐसा कंपाउंड है, जिसे फसलों, पशुओं, जंगलों और म्यूनिसिपल सालिड वेस्ट बनाया जा रहा है यानी कचरे को से ही कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यह एक गैसिफिकेशन प्रक्रिया है, जिसमें कचरे को सिनगैस में बदला जाता है। सिनगैस को फिर डायमेथिल ईथर में बदल सकते हैं।
इंजन बदलने की ज़रूरत नहीं
दूसरा फायदा यह है कि यदि इसे डीजल में 15 प्रतिशत ब्लेंड करते हैं, तो इंजन में कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है। इसे डीजल और एलपीजी में मिश्रित किया जा सकता है। इसके लिए इंडियन आयल देश का पहला प्लांट पुणे में तैयार कर रहा है। यह देश में निर्मित कम लागत आधारित तकनीक है। इसका प्रयोग बिजली उत्पादन और परिवहन ईंधन के तौर पर किया जा सकता है।
Electric गाड़ियाँ ला रही हैं नया सिस्टम
इलेक्ट्रिक वाहनों को सुरक्षित बनाने के लिए कंपनियां चार्जिंग सिस्टममोटर और बैटरी क्षमता को बढ़ा रही हैं। वहीं दो पहिया ईवी, मिनी व्हीकल और चार्जिंग सेट-अप तैयार करने वाले स्टार्टअप भी आ रहे हैं। हालांकि, ईवी की अधिक कीमतों और लीथियम आयन बैटरी से चिंताओं जुड़ी का बड़े स्तर पर समाधान होना अभी बाकी है.