रेपो रेट: RBI की महंगाई संचार की महत्वपूर्ण उपकरण
भारतीय रिजर्व बैंक का एक मुख्य उद्देश्य है महंगाई को नियंत्रित करना। इसे संचालित करने के लिए RBI के पास रेपो रेट नाम का हथियार है।
महंगाई और रेपो रेट का संबंध
जब महंगाई बढ़ती है, RBI रेपो रेट को बढ़ा सकती है। ज्यादा रेपो रेट का मतलब है कि बैंकों को RBI से अधिक ब्याज पर पैसा मिलेगा, जिससे उन्हें आम जनता को अधिक ब्याज पर लोन देना होगा। इससे आर्थिक गतिविधियों में कमी आती है और महंगाई पर नियंत्रण होता है।
रेपो रेट कम होने से फायदा
रेपो रेट घटने से बैंकों को RBI से सस्ता कर्ज मिलता है। इससे उन्हें अपने ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन मिलता है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है।
रिवर्स रेपो रेट का महत्व
रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है। जब RBI चाहती है कि बैंक अधिक पैसा उसमें जमा करें, तो वह इस दर को बढ़ा देती है।
महत्वपूर्ण जानकारी:
- रेपो रेट: वह दर जिस पर RBI बैंकों को पैसा उधार देती है।
- महंगाई का प्रभाव: ज्यादा रेपो रेट से महंगाई में कमी होती है।
- रिवर्स रेपो रेट: वह दर जिस पर RBI बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है।
- लाभ: कम रेपो रेट से आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है।