रेल मंत्रालय ने जोनल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उन ट्रेनों की पहचान करें जिनमें रिजर्व स्लीपर कोचों में कम यात्री सवारी करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य उन कोचों को अनरिजर्व कोचों में बदलना है ताकि जनरल डिब्बों में भीड़ कम हो सके।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 21 अगस्त को रेलवे बोर्ड ने जीएससीएन (जनरल स्लीपर क्लास) कोचों को जीएस (अनारक्षित) में बदलने के निर्देश जारी किए। यह निर्देश खासतौर पर उन ट्रेनों के लिए है जिनमें दिन में कम सीटें खाली रहती हैं या जिनमें मांग कम है।
रेलवे बोर्ड के इंटरनल कम्युनिकेशन में उल्लेख किया गया कि, “उन ट्रेनों/सेक्शनों की पहचान की जाए जहां पर ऑक्यूपेंसी बहुत कम है और स्लीपर क्लास आरक्षित (जीएससीएन) कोचों को जीएस (अनारक्षित) में बदलने की सिफारिश भेजें।” इससे रेलवे को अधिक राजस्व मिलेगा और स्थानीय यात्रियों को भी लाभ होगा।
जनरल कोचों में अधिक भीड़ की समस्या को देखते हुए रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, “जनरल डिब्बों में भीड़भाड़ होने का मुख्य कारण यह है कि जनरल डिब्बों के टिकट ट्रेन निकलने तक जारी होते रहते हैं और इसके चलते यात्रीगण अधिक हो जाते हैं।”
एक पूर्व रेलवे अधिकारी ने इस मामले में कहा, “रेलवे पिछले कुछ सालों से जनरल कोचों की संख्या कम कर रहा है ताकि एसी थ्री-टायर कोचों को ज्यादा समायोजित किया जा सके। इससे रेलवे को ज्यादा लाभ होता है।” उन्होंने आगे जोड़ा, “कोविड-19 के बाद, रेलवे ने जनसाधारण एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें चलाना बंद कर दिया, क्योंकि इसे घातक माना जाता था।”
इस नई पहल से उम्मीद है कि जनरल डिब्बों में यात्रीगण की संख्या में संतुलन आएगा और यात्रियों को अधिक सुविधा प्रदान की जा सकेगी।