1 अक्टूबर से नए नियम के तहत दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नए नियम प्रतिबंध लागू किए जाने की तैयारी है. इस नए नियम के तहत डीजल जनरेटर के इस्तेमाल करने वाले लोगों का तकलीफ पड़ेगा. पावर बैकअप के तौर पर उन्हें अपने जनरेटर में मोडिफिकेशन करवाना पड़ेगा अथवा डीजल जनरेटर को बेचना होगा.
दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अब डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इसके तहत, अक्तूबर से डीजल जनरेटर का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।
FAQs:
- डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है?
- दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इस प्रतिबंध को लगाया जा रहा है।
- क्या अस्पताल और अन्य एमरजेंसी सेवाएं भी इस प्रतिबंध से प्रभावित होंगी?
- हां, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, मेट्रो, बैंक आदि जगहों पर भी डीजल जनरेटर का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।
- अगर जनरेटर की जरूरत होती है तो क्या किया जा सकता है?
- जनरेटर को ड्यूल फ्यूल मोड में परिवर्तित करवाना होगा, जिसमें 70% गैस और 30% डीजल का उपयोग होगा।
- उद्योगों और अस्पतालों का क्या रुख है इस प्रतिबंध के प्रति?
- उद्योगों और अस्पतालों में इस प्रतिबंध से संबंधित चिंता है। अस्पताल संचालक मानते हैं कि जीवन बचाना महत्वपूर्ण है, इसलिए उन्हें छूट देनी चाहिए। वहीं, उद्योगों की मांग है कि उन्हें 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
इस प्रतिबंध के चलते दिल्ली एनसीआर में नई चुनौतियों का सामना हो रहा है। इसका असर और परिणाम आने वाले समय में ही पता चलेगा।