केंद्र माल एवं सेवा कर परिषद से मंजूरी के बाद जल्दी ही जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन के लिए नियम अधिसूचित करेगा और सदस्यों की नियुक्ति करेगा. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क (सीबीआईसी) बोर्ड में सदस्य शशांक प्रिय ने कहा कि विभाग करदाता आधार बढ़ाने के लिए काम कर रहा है और सही आकलन को लेकर आयकर व्यवस्था में कंपनी करदाताओं के मामले में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग कर रहा है.
प्रिय ने कहा कि कुछ कंपनियां हैं, जिन्होंने पंजीकरण प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है. उन्होंने कहा कि फर्जी पंजीकरण को पकड़ने के लिए केंद्र और राज्य कर अधिकारियों के दो महीने से जारी अभियान में 13,900 करोड़ रुपए की चोरी से जुड़े 45,000 फर्जी जीएसटी पंजीकरण जांच के दायरे में हैं.
योजना के मुताबिक, हर राज्य में न्यायाधिकरण की पीठ स्थापित की जाएंगी जबकि दिल्ली में एक प्रधान पीठ होगी. वर्तमान में कर प्राधिकरणों की व्यवस्था से करदाताओं को शिकायत होने पर उन्हें संबंधित उच्च न्यायालयों में जाना पड़ता है. चूंकि अदालतों में पहले से ही काफी संख्या में मामले लंबित हैं, ऐसे में समाधान प्रक्रिया में विलंब होता है.
नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया शुरू
शशांक प्रिय ने उद्योग मंडल फिक्की के जीएसटी सम्मेलन में कहा कि परिषद से मंजूरी मिलने के बाद हम नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में हैं. वहीं, अधिकारियों ने 1,430 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ लेने को भी रोका है. चालू वित्त वर्ष में अबतक औसत आय 1.69 लाख करोड़ रुपए प्रति महीने रही.
आंकड़ों के अनुसार, फिलहाल कंपनी आयकरदाता आधार का केवल 40 प्रतिशत ही जीएसटी के तहत पंजीकृत है. जीएसटी के तहत 1.39 करोड़ कंपिनयां पंजीकृत हैं. यह एक जुलाई, 2017 से लागू माल एवं सेवा की संख्या के मुकाबले लगभग दोगुना है. इस दौरान औसत मासिक जीएसटी संग्रह भी बढ़ा है. जहां 2017-18 में यह 89,885 करोड़ रुपए था, वह 2022-23 में बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया.