उच्चतम न्यायालय ने ईरान के क्योम में फंसे भारतीय तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य की सतत निगरानी के लिए वहां के भारतीय दूतावास को निर्देश देने का बुधवार को संकेत दिया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने यह संकेत उस वक्त दिया जब केंद्र सरकार की ओर से यह अवगत कराया गया कि ईरान के क्योम में अब भी फंसे 250 भारतीय तीर्थयात्री कोरोना संक्रमित हैं।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया कि सरकार के प्रयास से कम से कम 500 तीर्थयात्रियों को वहां से स्वदेश ले आया गया है, लेकिन 250 तीर्थयात्री अब भी फंसे हैं, जिनकी जांच के बाद वे कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से संक्रमित पाये गये हैं।
इसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि खंडपीठ इस बारे में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आदेश जारी करेगा और तेहरान स्थित भारतीय दूतावास को इन लोगों को चिकित्सा सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास करे। न्यायालय ने कहा कि वह दूतावास को इन सभी तीर्थयात्रियों की फिर से कोरोना जांच कराने तथा उनके यथाशीघ्र स्वदेश लाने की संभावना तलाशने का निर्देश भी दे सकता है। न्यायालय ने, हालांकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर रोक को लेकर सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।
सॉलिसिटर जनरल ने सुनवाई की शुरुआत में दलील दी कि याचिकाकर्ता मोहम्मद मुस्तफा की याचिका अब बेमानी हो गयी है, क्योंकि याचिकाकर्ता के रिश्तेदारों को वापस लाया जा चुका है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने, हालांकि कहा कि क्योम शहर से भले ही कम से कम 500 तीर्थयात्रियों को वापस लाया जा चुका है, लेकिन अब भी 250 तीर्थयात्री फंसे हैं और इस प्रकार याचिका बेमानी नहीं हुई है। उसके बाद न्यायालय ने याचिका की सुनवाई जारी रखी।
गौरतलब है कि इनमें से ज्यादातर तीर्थयात्री गरीब वित्तीय पृष्ठभूमि से हैं और उन्हें इस महीने की शुरुआत में घर लौटना था लेकिन महामारी के कारण वे अपनी यात्रा से लौट नहीं सके। इन लोगों ने दिसंबर 2019 के बाद अलग-अलग तारीखों पर अपनी यात्राएं शुरू की। यात्रा तीन महीने की अवधि के लिए निर्धारित थी और तीर्थयात्रियों को 26 फरवरी के बाद अलग-अलग तारीखों पर लौटना था। इन तीर्थयात्रियों में याचिकाकर्ता के रिश्तेदार भी शामिल हैं, जिन्हें गत छह मार्च को लौटना था।
याचिका में कहा गया है कि इन तीर्थयात्रियों को चार-पांच के समूह में होटल के कमरों में समायोजित किया गया है, जो स्वास्थ्य को गम्भीर खतरा है और ऐसे तीर्थयात्रियों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।”
याचिकाकर्ता ने कहा कि जब तक इन तीर्थयात्रियों को वहां से निकालने के लिए उपयुक्त बंदोबस्त नहीं होता तब तक भारत सरकार को ईरान में फंसे इन भारतीय नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सहयोग मुहैया कराने का निर्देश दिया जाये।GulfHindi.com
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