बिहार. नाम सुनते हैं दिमाग में तस्वीर बनी होगी कट्टा और कपार. खैर कुछ चीजें फिल्मों में अच्छी लगती हैं असल जिंदगी में परिदृश्य कुछ अलग भी हो सकते हैं. लाइन लिखने से मैं बिहार में चल रहे हैं अपराधिक घटनाओं को नहीं मैं पर्दा डाल रहा हूं और ना ही छुपा रहा हूं.

मैं मानता हूं कि बिहार में अपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन बिहार के बारे में जो परिदृश्य सिनेमा और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत किए जाते हैं उस समय पूरा असहमत पहले भी था और अब भी हूं.

  • यहां हर बच्चों के हाथ में कट्टा नहीं किताब रहता है.
  • हमारे यहां केवल दो लोग नहीं बल्कि पूरा समाज रहता है.
  • बहुत कुछ सुना होगा हमारे बिहार के बारे में, एक बार घूम भी लीजिए.
  • हमारे यहां मात्र एक जंगल में 50 बाघ रहता है.

चलिए अब आपको बताते हैं यह 50 बाघ की कहानी क्या है.

बिहार में एक 880 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ एक बड़ा वन क्षेत्र है जो बिहार तथा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ नेपाल के बॉर्डर को भी साझा करता है. यह वन क्षेत्र टाइगर रिजर्व के लिए काफी फेमस है और पूरे इलाके का 530 स्क्वायर किलोमीटर केवल बाघों के लिए आरक्षित है.

जहां देशभर के अलग-अलग इलाकों में बाघों की संख्या घट रही है वही महज 4 साल में हमारे बिहार में केवल इस जंगल के भीतर 18 बाघ बढ़ गए हैं. प्रजनन अच्छी हुई है और संख्या 4 साल पहले 32 की तुलना में आज 50 हैं.

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के नाम से यह देश के 18वें बाघ अभ्यारण का हिस्सा है. इस अभ्यारण के भीतर विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी आसानी से दिख जाएंगे और कई खुश करने वाले परिदृश्य और माहौल भी आपको बिहार के बारे में जरूर अलग छाप छोड़ेंगे।

देशभर के टाइगर रिजर्व में कितनी संख्या में कहां पर टाइगर हैं इसकी सर्वे की जा रही है जिसका आंकड़ा 29 जुलाई इंटरनेशनल टाइगर डे पर केंद्र सरकार के तरफ से जारी किया जाएगा।

बिहार से हूँ। बिहार होने पर गर्व हैं। फर्जी ख़बरों की क्लास लगाता हूँ। प्रवासियों को दोस्त हूँ। भारत मेरा सबकुछ हैं। Instagram पर @nyabihar तथा lov@gulfhindi.com पर संपर्क कर सकते हैं।

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