भारत सरकार ने दालों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए वैश्विक स्तर पर पहल की है। मोजाम्बिक, मलावी, और म्यांमार के साथ समझौते के बाद, अब भारत ने दक्षिण अमेरिकी देशों की ओर रुख किया है। अर्जेंटीना और ब्राजील के साथ वार्ता शुरू की गई है, जिससे तुअर और उड़द दाल की खेती और आयात में सहयोग संभव हो सके।
दक्षिण अमेरिका: एक नया आयात स्रोत
- दक्षिण अमेरिकी देशों में दालों की खपत कम होने के कारण, ये देश भारत के लिए आयात का एक अच्छा विकल्प बन सकते हैं।
- इन देशों में दालों की खेती के लिए उपयुक्त मौसम और परिस्थितियाँ हैं।
2.28 मिलियन टन दालों का आयात
- इस वर्ष, भारत ने 2.28 मिलियन टन दालों का आयात किया है।
- इसमें मसूर, तुअर, और उड़द दाल शामिल हैं, जिनका आयात मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार, और अन्य देशों से किया गया है।
चना और मूंग: स्वावलंबन की ओर
- भारत में चना और मूंग का उत्पादन घरेलू खपत को पूरी तरह से संतुष्ट करता है।
- इन दालों के लिए आयात की आवश्यकता नहीं होती, जो देश के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में प्रयास
- सरकार ने तुअर, उड़द, और मसूर की आयात पर से पाबंदी हटाई है, जिससे देश में इन दालों की कमी और कीमतों में वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके।
- भारत अपनी कुल खपत का लगभग 15% आयात करता है, और इस निर्भरता को कम करने के लिए नए स्रोतों की तलाश में है।
इस तरह, भारत दालों के आयात में विविधता लाने और अपनी खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नई रणनीतियाँ अपना रहा है। इसका असर जल्द ही सस्ते दाल के रूप दिखेगा।