यद्यपि UPI और नेट बैंकिंग के आगमन के पश्चात चेक का उपयोग करने वालों की संख्या में कमी आ गई है, लेकिन बड़े धन लेन-देन के लिए, अभी भी कई लोग इसे प्राथमिकता देते हैं। आइए आपको बताते हैं कि चेक बाउंस क्यों होता है और इस पर कौन से नियम लागू होते हैं।
चेक बाउंस का मुख्य कारण होता है खाते में हेतु राशि से कम धनराशि होना। इसके अतिरिक्त, सिग्नेचर का मैच नहीं होना, खाता संख्या में गलती होना, चेक पर कंपनी की मुहर नहीं होना आदि अन्य कारण हो सकते हैं।
चेक बाउंस होने की सूचना बैंक द्वारा देने के बाद, आपके पास तीन महीने का समय होता है दूसरा चेक जारी करने का। यदि दूसरा चेक भी बाउंस हो जाता है, तो चेक प्राप्तकर्ता आप पर कानूनी कार्यवाई शुरू कर सकता है।
चेक बाउंस होने पर, बैंक जुर्माना भी वसूलता है, जो सामान्यतः 150 से 800 रुपए के बीच होता है।
न्यायिक कार्यवाई तब शुरू होती है, जब लेनदार देनदार को 15 दिनों के भीतर नोटिस भेजता है और उसका जवाब नहीं मिलता। ऐसा होने पर, लेनदार कोर्ट में एक महीने के आवेदन कर सकता है। यदि दोषी पाए जाने पर, इसमें दो साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है। हालांकि, इसमें अपराधी को अपनी गलती सुधारने का मौका दिया जाता है।
इसलिए, यदि आप भी चेक का उपयोग करते हैं, तो इसे ध्यानपूर्वक भरें और सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त धनराशि हो।