राजधानी में प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं। लेकिन, वाहनों का धुआं इनमें प्रमुख है। अब इससे जल्द निजात मिल सकेगी। ऐसा संभव होगा आटोमोबाइल इंजीनियर सौरभ मोहन सक्सेना की इजात की हाइड्रोजन किट से । इसकी मदद से चारपहिया व दोपहिया वाहनों में डीजल व पेट्रोल से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को 85 प्रतिशत तक कम किया जा रहा है। यह 25 प्रतिशत माइलेज बढ़ाने में भी कारगर है। इस तकनीक को सौरभ ने आइआइटी दिल्ली के फाउंडेशन फार इनोवेशन एवं टेक्नोलाजी ट्रांसफर (एफआइटीटी) से मिली वित्तीय सहायता से विकसित किया है।
CNG हटा रहे लोग.
CNG के बढ़ते दामों की वजह से लोगों में CNG गाड़ियों की रुझान कम हुई है और साथ ही साथ लगाए जा चुके CNG किट के फिटिंग को भी कई शहरों में लोगों ने खुलवा दिया है और यह सिलसिला लगातार जारी है. ऐसी स्थिति में बिना सिलेंडर रखे हाइड्रोजन कीट गाड़ियों को जहाँ ज़्यादा माइलेज देगा वहीं बूट स्पेस में कोई जगह भी नहीं उठाएगा.
RTO देगा मान्यता
सौरभ को आइआइटी परिसर में ही स्टार्टअप कंपनी के आफिस के लिए जगह भी दी गई है। अब वह अपनी स्टार्टअप कंपनी हाइड्रोजन आन डिमांड (एचओडी) के माध्यम से इसका उत्पादन शुरू करके इसे बड़े पैमाने पर गाड़ियों में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराने की कोशिश में हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने जिस तरह से सीएनजी किट लगाने को मंजूरी दी हुई है। वैसे ही जब हाइड्रोजन किट के इस्तेमाल को मंजूरी मिल जाएगी तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। देश में पेट्रोल-डीजल से चल रही पुरानी गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को भी कम करने में इससे मदद मिलेगी। यह तकनीक पूरी तरह से भारतीय है। इसे सभी दोपहिया व चारपहिया वाहनों में इस्तेमाल किया जा सकता है। आइआइटी दिल्ली में शनिवार को इंडस्ट्री डे के अवसर पर हाइड्रोजन किट लगी कार को प्रदर्शित करते हुए सौरभ मोहन ने बताया कि वर्ष 2020 में इस तकनीक का पेटेंट वह करा चुके हैं। सौरभ ने इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलाजी (आइआरडीटी) इलाहाबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। वे लखनऊ के रहने वाले हैं। 20 साल तक अलग-अलग आटोमोबाइल कंपनियों में काम कर चुके हैं।
इस तरह काम करती है किट
किट में ऊपर से डेढ़ लीटर पानी भरा जाता है। इसके बाद किट से निकलने वाले पाइप को गाड़ी के डीजल या पेट्रोल के टैंक में जोड़ दिया जाता है और दूसरी तरफ उसे इंजन में जोड़ दिया जाता है। जब गाड़ी चलती है तो किट में इलेक्ट्रोलाइसिस की क्रिया होती है जिससे पानी और हवा की मदद से हाइड्रोजन बनती है। यह हाइड्रोजन डीजल या पेट्रोल के साथ गाड़ी के इंजन में जाती है। चूंकि हाइड्रोजन डीजल व पेट्रोल से तीन गुना ज्यादा ताकतवर होती है। इसके इंजन में जाने से पेट्रोल व डीजल की खपत 25 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
कितनी होगी किट की कीमत
तकनीक को विकसित करने वाले सौरभ मोहन सक्सेना ने बताया कि उनकी कोशिश यह है कि चारपहिया वाहनों के लिए किट सीएनजी किट की कीमत में ही ( 40 से 50 हजार रुपये) में उपलब्ध कराई जाए। साथ ही दोपहिया वाहनों के लिए यह पांच से सात हजार में उपलब्ध कराने की कोशिश रहेगी।