सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करके पूरे देश में वाहन मालिकों के लिए कलर कोड स्टिकर अनिवार्य करने पर विचार कर सकता है। इन स्टिकरों के ज़रिए वाहन के ईंधन प्रकार की पहचान आसानी से की जा सकेगी और प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को बल मिलेगा।
कैसे आया यह मामला सुप्रीम कोर्ट में
दरअसल, 13 अगस्त 2018 को एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में पेट्रोल/सीएनजी वाहन के लिए हल्का नीला और डीज़ल वाहन के लिए ऑरेंज रंग का स्टिकर अनिवार्य करने का निर्देश दिया गया था। 13 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इसी कलर-कोड स्टिकर योजना के अनुपालन पर ज़ोर देते हुए पूछा कि क्या इस पहल को देशभर में लागू किया जा सकता है। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने टिप्पणी की कि प्रदूषण रोकने के लिए ऐसी व्यवस्था ज़रूरी है, ताकि वाहन का ईंधन प्रकार दूर से पहचाना जा सके।
कलर कोड की अहमियत
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सिर्फ़ आदेश जारी कर देने से वायु प्रदूषण खत्म नहीं होगा, बल्कि इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए हर राज्य में सख़्त निगरानी और कारगर उपाय किए जाने चाहिए। कलर कोड स्टिकर लगाने से ट्रैफिक पुलिस या अन्य एजेंसियों को तुरंत पता चल जाएगा कि वाहन पेट्रोल, डीज़ल, या सीएनजी में से किस ईंधन पर चल रहा है। इससे उन वाहनों पर नज़र रखना आसान होगा जो प्रतिबंधित या उच्च प्रदूषण फैलाने वाले फ्यूल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पूरे देश में हो सकती है योजना लागू
अदालत ने पूछा कि क्या अनुच्छेद-142 की शक्तियों का इस्तेमाल कर इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है, न कि सिर्फ़ एनसीआर में। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर इस योजना से एमिशन टेस्ट और प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी, तो इसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही, यह भी पूछा गया कि क्या अन्य राज्यों में इस तरह का नियम पहले से मौजूद है या लागू किया जा सकता है।
सभी पक्षों से माँगी गई राय
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और न्याय मित्र (अमीकस क्यूरी) से कहा कि इस मुद्दे पर वे अपनी राय रखें। कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा कि वाहनों के मामले में प्रदूषण रोकने की कोशिशों को एक तयशुदा कानूनी ढाँचे में लाना होगा, ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके। न्यायमूर्ति ने कहा कि हम चाहते हैं कि एक व्यावहारिक समाधान निकले, जिससे आम जनता को किसी तरह की असुविधा न हो, पर प्रदूषण पर भी लगाम लगाई जा सके।
आगे का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश दे सकता है कि वे कलर कोड स्टिकर्स को अनिवार्य करने पर विचार करें या इस संबंध में आदेश पारित करें। यदि ऐसा होता है, तो पूरे देश में वाहन मालिकों को अपने वाहनों पर पेट्रोल, डीज़ल या सीएनजी के अनुरूप रंगीन स्टिकर लगाने होंगे। इससे भविष्य में ऑड-ईवन, शहरों में प्रदूषण-नियंत्रण अभियान और डीज़ल वाहनों पर संभावित प्रतिबंध जैसे फैसले भी बेहतर तरीक़े से लागू हो सकेंगे।