दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, जो निर्माण के मामले में पिछड़ रहा था, अब केंद्र और उत्तराखंड सरकार के समन्वय से नई गति प्राप्त कर रहा है। प्रोजेक्ट की अंतिम समय सीमा नवंबर 2024 तय की गई है, और तीन स्तरों पर इसकी समीक्षा हो रही है। काम इतना तेज़ी से चला है कि यह प्रॉजेक्ट अब विलंब होने के बजाए नए तय सीमा से पहले ही चालू हो जाएगा और मार्च में इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जा सकता है।
निर्माण की चुनौतियाँ और समाधान
- मार्च 2023 से मार्च 2025: प्रारंभिक लक्ष्य मार्च 2023 था, लेकिन जमीन अधिग्रहण, कोरोना, और विरोध के कारण देरी हुई।
- अब तक की प्रगति: एक्सप्रेसवे के सभी 11 चरणों में बिना बाधा के निर्माण जारी है।
एक्सप्रेसवे के चरण और उनकी समय सीमा
- अक्षरधाम से यूपी बॉर्डर तक – 31 मार्च 2024 तक पूर्णता।
- यूपी बॉर्डर से खेड़का ईपीई – 31 मार्च 2024 तक पूर्णता।
- ईपीई कॉसिंग से सहारनपुर बाईपास – 31 अगस्त 2024 तक पूर्णता।
- सहारनपुर बाईपास से गणेशपुर – 05 नवंबर 2024 तक पूर्णता।
- गणेशपुर से देहरादून तक – 31 मार्च 2025 तक पूर्णता।
प्रोजेक्ट की विशेषताएँ
- कुल दूरी: 210 किलोमीटर।
- समीक्षा प्रक्रिया: हर 15 दिन पर एक्सप्रेसवे के रूट पर पड़ने वाले जिलों के जिलाधिकारी, मंडलायुक्त, और एनएचएआई अधिकारियों के साथ समीक्षा।
- निर्माण रणनीति: श्रम शक्ति को बढ़ाकर निर्माण में तेजी लाने की योजना।
एक्सप्रेसवे के फायदे
देहरादून एक्सप्रेसवे के पूरा होने से यातायात में सुधार होगा, और दिल्ली से देहरादून के बीच की यात्रा सुविधाजनक और तेज होगी। यह परियोजना न केवल यातायात के लिए बल्कि क्षेत्रीय विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।